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शिलान्यास के 5 महीने बाद भी बक्सर में पुल का निर्माण नहीं हुआ शुरू, जानें कहां फंस रहा पेंच?

cy520520 7 day(s) ago views 1010

  

गंगा नदी पर बन रहा तीन लेन पुल। (जागरण)



जागरण संवाददाता, बक्सर। बीते मई माह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिक्रमगंज की चुनावी सभा के दौरान बक्सर में गंगा नदी पर प्रस्तावित तीन लेन वाले नए पुल का शिलान्यास किया था। यह पुल बिहार और उत्तर प्रदेश के बीच संपर्कता को मजबूत करने का प्रतीक है, लेकिन पांच माह बाद भी इसका निर्माण शुरू नहीं हो सका है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मौजूदा दो-लेन वाले दो पुलों पर बढ़ते ट्रैफिक का बोझ झेल रहे स्थानीय निवासियों में निराशा का भाव है। यहां मौजूद दो पुलों में एक काफी पुराना है और जर्जर होने की वजह से इस पर केवल हल्के वाहन चलते हैं। दूसरे पुल पर इसके कारण जाम लगता है।

बीते 30 मई 2025 को रोहतास जिले के बिक्रमगंज में आयोजित विशाल रैली के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के विकास को नई ऊंचाइयों देने वाले कई प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और उद्घाटन किया। कुल 48,500 करोड़ रुपये के इन प्रोजेक्ट्स में बक्सर-भरौली गंगा पुल प्रमुख था।

पीएम ने रैली में कहा था कि यह पुल न केवल बिहार-यूपी के बीच दूरी कम करेगा, बल्कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़कर पूरे क्षेत्र की आर्थिक धमक बढ़ाएगा। रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान भी मौजूद थे।

यह आयोजन शाहाबाद-मगध क्षेत्र में एनडीए की राजनीतिक जमीन मजबूत करने का प्रयास था, जहां 2020 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनावों में पार्टी को झटका लगा था। शिलान्यास के साथ ही पुल को राष्ट्रीय राजमार्ग-922 (एनएच-922) पर बक्सर (बिहार) और भरौली (बलिया, यूपी) के बीच जोड़ने की योजना की घोषणा हुई।

यह पुल वीर कुंवर सिंह सेतु के समानांतर बनेगा, जो वर्तमान में हल्के वाहनों के लिए ही पर्याप्त है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र से रोजाना हजारों वाहन गुजरते हैं, लेकिन मौजूदा पुलों पर जाम और दुर्घटनाएं आम हैं।
मिट्टी परीक्षण से आगे नहीं बढ़ी बात

शिलान्यास के बावजूद, अक्टूबर 2025 तक पुल का ठोस निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों के अनुसार, प्रोजेक्ट जनवरी 2025 में वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद गति पकड़ चुका था, लेकिन मई के शिलान्यास के बाद भी मिट्टी परीक्षण (सॉइल टेस्टिंग) और भू-तकनीकी रिपोर्ट की मंजूरी में देरी हो रही है।

एएससी इंफ्राटेक जैसी निर्माण कंपनी ने 170 फीट गहराई तक बोरिंग कर सैंपल दिल्ली भेजे हैं, लेकिन केंद्रीय मंजूरी का इंतजार है। एक एनएचएआई अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि तकनीकी चुनौतियां जैसे गंगा की धाराओं का रिवर रेंडरिंग (प्राकृतिक बहाव परिवर्तन) और पर्यावरणीय मंजूरी प्रक्रिया ने देरी की है।

हम उम्मीद करते हैं कि नवंबर तक निर्माण शुरू हो जाएगा। यह तीन-लेन वाला पुल कुल 3.2 किलोमीटर लंबा होगा, जिसमें गंगा नदी पर 1.2 किलोमीटर का मुख्य हिस्सा शामिल है।
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