नाइन एम इंडिया लिमिटेड की 81 बैचों की दवाएं जांच में फेल।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के महासमुंद की दवा कंपनी नाइन एम इंडिया लिमिटेड की 81 बैचों की दवाएं 10 महीने पहले ही विभागीय जांच में फेल हो चुकी हैं। इनमें बुखार की दवाएं जैसे पैरासिटामोल 500 एमजी, पैरासिटामोल 650 एमजी, बच्चों के लिए पैरासिटामोल सीरप और आइ ड्राप सिप्रोफ्लोक्सासिन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त अन्य 10 बैचों की दवाओं की गुणवत्ता भी असंतोषजनक रही। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसके बावजूद कंपनी से दवाओं की खरीदी जारी है। अब स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने दावा किया है कि कंपनी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कारपोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) के नियम स्पष्ट हैं कि यदि किसी कंपनी की पांच बैचों की दवाएं गुणवत्ता जांच में फेल हो जाती हैं तो उस कंपनी को तीन वर्ष के लिए ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए। लेकिन, नाइन एम के मामले में यह नियम नजरअंदाज कर दो दर्जन से अधिक दवाओं की खरीदी की जा रही है।
विभाग ने नहीं जारी की पूरी जांच रिपोर्ट
बता दें कि हाल ही में औषधि विभाग ने महासमुंद के बिरकोनी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित फैक्ट्री की जांच की थी, जिसमें दवा के रॉ मटेरियल की खरीद में गड़बडि़यां पाई गईं। हालांकि, विभाग ने अभी तक पूरी जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने नाइन एम इंडिया से नई दवाओं की आपूर्ति जारी रखी है।
नाइन एम इंडिया को दिया गया आदेश
इसी वर्ष 10 जनवरी को सीजीएमएससी की पूर्व महाप्रबंधक ने नाइन एम इंडिया को आदेश दिया कि फेल बैच का उठाव कर नए बैच की आपूर्ति की जाए। आदेश के अनुसार, पैरासिटामोल 500 एमजी के 53 बैच, 650 एमजी के 17 बैच और आई ड्राप के नौ बैच फेल पाए जाने के बावजूद नई आपूर्ति जारी है। विशेष रूप से डाइसाइक्लोमाइन 500 एमजी और 600 एमजी टैबलेट में काले धब्बे पाए गए हैं। बच्चों के पैरासिटामोल सीरप के बैच भी खराब मिले हैं। 81 बैचों में 71 बैचों की दवाएं जनवरी में और 10 अन्य बैचों की दवाएं पिछले तीन माह में अमानक पाई गई है।
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