Cough Syrup Deaths Case: मध्य प्रदेश में 20 से अधिक बच्चों की मौत के बाद तमिलनाडु में मिलावटी कफ सिरप कोल्ड्रिफ बनाने वाली श्रीसन फार्मास्युटिकल कंपनी का मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है। जहरीली कफ सिरप कोल्ड्रिफ का लाइसेंस रद्द कर कंपनी को बंद करने का आदेश दिया गया है। कोल्ड्रिफ कफ सिरप को मध्य प्रदेश में कम से कम 22 बच्चों की मौत का कारण बताया गया है। कई राज्यों ने अब कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया है।  
 
  
 
बच्चों की मौत की सूचना मिलने के बाद तमिलनाडु स्थित श्रीसन फार्मास्युटिकल्स के मालिक रंगनाथन गोविंदन को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्हें 10 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। राज्य औषधि नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने निरीक्षण के दौरान पाया कि कफ सिरप में 48.6 प्रतिशत डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक एक जहरीला पदार्थ मौजूद था। यह दवा मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत से कथित तौर पर जुड़ी है।  
 
  
 
  
 
उन्होंने 300 से अधिक गंभीर और बड़े उल्लंघन दर्ज किए। कंपनी के मालिक जी. रंगनाथन को हाल ही में मध्य प्रदेश के एक विशेष जांच दल ने गिरफ्तार किया था। इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एक टीम ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के एक मामले में श्रीसन फार्मास्युटिकल्स और उसके कुछ अधिकारियों के परिसरों पर छापेमारी की थी।  
 
  
 
  
 
तमिलनाडु सरकार ने एक विज्ञप्ति में कहा, “श्रीसन फार्मास्युटिकल्स का दवा निर्माण लाइसेंस पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है और कंपनी को बंद कर दिया गया है। तमिलनाडु स्थित अन्य दवा निर्माण कंपनियों का विस्तृत निरीक्षण करने के आदेश दिए गए हैं।“  
 
  
 
  
 
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण जहरीले कफ सिरप के सेवन से 20 से अधिक बच्चों की मौत हो गई। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे और मौतों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की मांग की।  
 
  
 
  
 
इसे गैर इरादतन हत्या का अपराध बताते हुए उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को पद से हटाने की भी मांग की। पत्रकारों से बात करते हुए पटवारी ने दावा किया, “पिछले तीन महीनों में राज्य के विभिन्न जिलों में 150 से अधिक बच्चों की मौत दर्ज की गई है। ये मौतें किसी बीमारी का परिणाम नहीं, बल्कि इसके लिए सरकार जिम्मेदार है।“  
 
  
 
  
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उन्होंने आरोप लगाया, “नागपुर स्थित लैब ने 19 सितंबर को मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग को एक रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि मौतें किसी बीमारी के कारण नहीं, बल्कि दूषित दवाओं के कारण हुई हैं। लेकिन इसके बावजूद, स्वास्थ्य मंत्री ने रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की और उत्सवों में भाग लेते रहे।“  
 
  
 
  
 
छिंदवाड़ा के कई बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए लगभग 150 किलोमीटर दूर नागपुर के अस्पतालों में ले जाया गया, जहां कथित तौर पर गुर्दे की विफलता के कारण उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने कहा, “जहरीला कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से 25 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है।“  
 
  
 
  
 
कांग्रेस नेता के अनुसार, “पहली मौत तीन सितंबर को हुई थी, लेकिन आठ बच्चों की मौत के बावजूद ना तो पोस्टमार्टम किया गया और ना ही विभागीय बैठकें हुईं।“ पटवारी ने कहा कि ये मौतें किसी बीमारी के कारण नहीं हुईं, बल्कि यह एक गैर इरादतन हत्या का मामला है।  
 
  
 
  
 
राज्य का स्वास्थ्य मंत्रालय वर्तमान में मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के पास है। पटवारी ने कहा कि उनकी पार्टी सरकार से जवाबदेही की मांग के लिए एक दिन का उपवास रखेगी। साथ ही सभी जिलों में बाल डॉक्टरों के बाहर प्रदर्शन करेगी।  
 
  
 
  
 
   
 
  
 
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पटवारी ने नागरिकों से अपील करते हुए कहा, “यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि हमारे बच्चों की जिंदगी का सवाल है। लोगों को अपनी आवाज उठानी चाहिए और सरकार से सवाल पूछना चाहिए।“ |