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तेज बुखार में Mohammed Rafi ने गाया था ये गाना, Dharmendra की ब्लॉकबस्टर मूवी का है सदाबहार गीत

Chikheang 1 hour(s) ago views 774

  बुखार में गाया था गाना (फोटो क्रेडिट- एक्स)





एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। सुरों के सरताज मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) ने अपने करियर में हजारों की संख्या में गाने गाए। उनके द्वारा गाए गए शानदार नगमों को श्रोता आज भी सुनना पसंद करते हैं। आज बात सिर्फ उनके किसी शानदार गीत की नहीं, बल्कि रफी साहब की जज्बे की जाएगी, जब उन्होंने 102 डिग्री के तेज बुखार में एक गाना रिकॉर्ड (Mohammed Rafi Song) किया था।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



वह सॉन्ग 64 साल पहले सुपरस्टार धर्मेंद्र (Dharmendra) पर फिल्माया गया था। मौजूदा समय में भी मोहम्मद रफी का ये आईकॉनिक गीत आसानी से सुनने को मिल जाता है। आइए जानते हैं कि यहां कौन से गाने के बारे में जिक्र हो रहा है।  
बुखार में रिकॉर्ड किया था ये गाना

आपने सिनेमा जगत के कलाकारों के बारे में बहुत सारे ऐसे किस्से सुने होंगे, जब उन्होंने अपनी निजी समस्या को साइड रखते हुए अपने काम को सर्वोपरि रखा। ऐसी ही एक मिसाल गायक मोहम्मद रफी ने भी साल 1961 में कामय की थी, जब धर्मेंद्र के एक्टिंग करियर की शुरुआत मिली शोला और शबनम (Shola Aur Shabnam) के गाने रिकॉर्ड किए जा रहे थे।  



  

यह भी पढ़ें- जब मोहम्मद रफी संग Lata Mangeshkar ने लगाया था सुर, \“सॉन्ग ऑफ द ईयर\“ बन गया था राजेश खन्ना का ये गीत?



दरअसल आईएमडीबी की रिपोर्ट के अनुसार इस मूवी में रफी साहब का भी एक गीत था, जिसके बोल थे- जाने क्‍या ढूंढती रहती हैं ये आंखें मुझमें...(Jane Kya Dhoondti Rehti Hain Yeh Aankhen Mujh Mein Song)। फिल्म शोला और शबनम के इस गाने को रिकॉर्ड करते समय मोहम्मद रफी की तबीयत ठीक नहीं थी और वह 102 डिग्री बुखार में तप रहे थे। गाने के संगीतकार खय्याम ने उन्हें रिकॉर्डिंग टालने के लिए किया, लेकिन रफी ने अपनी हिम्मत को दिखाते हुए इस गीत को बुखार में भी पूरा रिकॉर्ड किया।



  

धर्मेंद्र की शोला और शबनम से ज्यादा फिल्म का ये गीत काफी पॉपुलर हुआ। ये गाना मोहम्मद रफी द्वारा गाए गए शुरुआती हिट सॉन्ग्स में से एक रहा। धर्मेंद्र पर फिल्माया गया ये गीत आज भी हर कोई सुनना बेहद पसंद करता है।  
सेहत का नहीं रखा ख्याल

इस गीत की रिकॉर्डिंग के लिए मोहम्मद रफी साहब बुखार में भी अपनी जिद पर अड़े रहे थे। उनका मानना था, अगर रिकॉर्डिंग कैंसिल होती तो उससे समय और प्रोड्यूसर दोनों को नुकसान झेलना पड़ता। रफी साहब का नेचर था कि अपनी वजह से वह किसी अन्य का नुकसान नहीं देख सकते थे। इसी वजह से सेहत का ख्याल रखे बगैर उन्होंने ये गीत रिकॉर्ड किया।



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