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दिल्ली-मुंबई पिछड़े, छोटे शहरों में नौकरियों की बहार; चौंकने वाली रिपोर्ट आई सामने

cy520520 2025-10-9 00:36:45 views 696

  दिल्ली-मुंबई पिछड़े, छोटे शहरों में नौकरियों की बहार; चौंकने वाली रिपोर्ट आई सामने





नई दिल्ली। भारत के कुछ शहर जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता बेंगलुरु नौकरी देने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन वित्त वर्ष 2025 की शुरुआती 5 महीने में जो डेटा निकलकर सामने आया है उसमें ये बड़े शहर छोटे शहरों से पिछड़ गए हैं। थोड़ा नहीं बहुत पिछड़ गए हैं। मुंबई की गगनचुंबी इमारतें, बेंगलुरु के टेक पार्क, गुरुग्राम के कॉर्पोरेट गलियारे, या पुणे और हैदराबाद की चहल-पहल वाली गलियां छोटे शहरों से पीछे रह गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



ये रिपोर्ट Ambit Capital ने जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार छोटे शहरों में वित्त वर्ष 2026 की शुरुआती 5 महीने में छोटे शहरों में रोजगार में वृद्धि हुई है। एंबिट कैपिटल की तरह फाउंडिट ने भी इसी तरह की एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में भी यही था।

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बड़े शहरों में नौकरियों की भर्ती में काफी संघर्ष देखा गया है, जिसका असर वहां के उच्च जीवन-यापन लागत को देखते हुए उपभोग की मांग पर पड़ता है।

भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में महानगरों का योगदान लगभग एक-चौथाई है। जहां मुंबई में  भर्तियों में कमी देखी गई है, वहीं 8 प्रमुख महानगरीय शहरों में से 7 में राष्ट्रीय औसत से कम भर्तियां हुई हैं।  फाउंडिट ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सितंबर में टियर-2 और टियर-3 शहरों में भर्ती में साल-दर-साल 21% की तीव्र वृद्धि हुई है, जो मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे महानगरों से आगे है।


छोटे शहरों से पिछड़े बड़े महानगर

फाउंडिट इनसाइट्स ट्रैकर (फिट) के अनुसार जयपुर, लखनऊ, कोयंबटूर, इंदौर, भुवनेश्वर, कोच्चि, सूरत, नागपुर और चंडीगढ़ जैसे स्थानों पर नियुक्तियों में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट से पता चला है कि सितंबर में भारत में कुल नियुक्ति साल-दर-साल 17% और महीने-दर-महीने 4% बढ़ीं, जो त्योहारों से जुड़ी नौकरियों के अलावा भी स्थिर नियुक्तियों का संकेत देती हैं।



  

दूसरी ओर अगर एंबिट कैपिटल की बात करें तो ग्वालियर, उदयपुर, केरल का तिरुवनंतपुरम जैसे शहर, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु से अप्रैल से अगस्त तक नौकरी देने के मामले में आगे निकल आए हैं। पिछले साल की तुलना में इन शहरों में इस साल शुरुआती पांच महीनों में नौकरी देने के मामले में वृद्धि दिखी है।



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