यमुना एक्सप्रेसवे पर आगरा की तरफ आगे बढ़ता एक व्यावसायिक ट्रक। जागरण आर्काइव
जागरण संवाददाता, मथुरा। सफर हमेशा किसी मंजिल तक पहुंचने के लिए होता है, लेकिन हर सफर की आत्मा उस रास्ते में बसती है, जिस पर कदम पड़ते हैं। अगर रास्ता सुगम हो, तो यात्रा आनंद बन जाती है और अगर रास्ता अव्यवस्थित हो, तो मंजिल भी बोझ लगने लगती है। वर्ष 2025 के ब्रज क्षेत्र ने इसी बदलाव की कहानी लिखी। जहां सड़कें अब केवल यातायात का साधन नहीं रहीं, बल्कि श्रद्धा, सुविधा और विकास की साझा धुरी बनती जा रही हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वृंदावन, मथुरा, राया, कोसीकलां, यमुना पार और आसपास के क्षेत्र में बनता सड़कों का मकड़जाल यह संकेत दे रहा है कि आने वाले समय में ब्रज के अंदर यात्रा की परिभाषा ही बदलने वाली है। 2025 की सड़कों का सफर यह बताता है कि ब्रज क्षेत्र अब केवल श्रद्धा का केंद्र नहीं, बल्कि सुव्यवस्थित यात्रा का उदाहरण बनने की ओर बढ़ रहा है। जब रास्ते सुगम होते हैं, तो मंजिल अपने आप करीब लगने लगती है। आने वाले वर्षों में यह सड़कें न केवल दूरी घटाएंगी, बल्कि ब्रज को विकास, सुविधा और श्रद्धा की साझा पहचान देंगी।
जयपुर बरेली एक्सप्रेसवे: जाम से राहत की नई धुरी
लगभग छह महीने पहले शुरू हुआ जयपुर बरेली एक्सप्रेसवे (एनएच 530बी) आज उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण जिलों बरेली, बदायूं, कासगंज, हाथरस और मथुरा को सीधे जोड़ रहा है। इसका उत्तरी किनारा बरेली में है, जबकि दक्षिणी छोर मथुरा में आकर समाप्त होता है। यह मार्ग सीधे जयपुर की दिशा में बढ़ता है, जिससे उत्तर भारत और राजस्थान के बीच आवागमन आसान हुआ है। इस एक्सप्रेसवे का सबसे बड़ा लाभ मथुरा-अलीगढ़ मार्ग पर राया कस्बे को मिला है।
श्रद्धालुओं के लिए विकसित हो रहीं सुविधाएं
राया, जहां पहले एक घंटे से लेकर दस-दस घंटे तक जाम लगता था, अब लगभग जाम मुक्त हो चुका है। अलीगढ़, बिचपुरी या बरेली की ओर जाने वाले भारी अथवा अन्य वाहन अब शहर में उतरे बिना इस हाईवे से सीधे निकल जाते हैं। नीचे के रास्तों पर जाम का दबाव लगभग समाप्त हो गया है। यह बदलाव केवल सुविधा नहीं, बल्कि समय, ईंधन और मानसिक तनाव से राहत की कहानी भी है।
सड़कों का जाल : विकास की नई तस्वीर
ब्रज क्षेत्र अब केवल धार्मिक पहचान तक सीमित नहीं रहा। यहां चारों ओर एक्सप्रेसवे और फोरलेन सड़कों की श्रृंखला विकसित हो रही है। कुछ मार्ग बनकर तैयार हैं, कुछ अंतिम चरण में हैं और कुछ स्वीकृति के बाद धरातल पर उतरने की तैयारी में हैं। उद्देश्य साफ है। श्रद्धालुओं को राहत, स्थानीय लोगों को सुविधा और क्षेत्र को आधुनिक यातायात ढांचा।
वृंदावन का नया फोरलेन प्रवेश मार्ग
यमुना एक्सप्रेसवे से पागल बाबा मंदिर तक बनने वाली 7.278 किलोमीटर लंबी फोरलेन सड़क वृंदावन के लिए ऐतिहासिक बदलाव लेकर आ रही है। लगभग 250 करोड़ रुपये की लागत से बन रही यह परियोजना अब 95 प्रतिशत तक पूरी हो चुकी है। यह वृंदावन का पहला आधुनिक प्रवेश द्वार बनेगा। इस सड़क के दोनों ओर 7-7 मीटर चौड़ी सर्विस रोड भी विकसित की जाएगी, जिससे स्थानीय यातायात को अलग रास्ता मिलेगा और मुख्य मार्ग पर जाम की समस्या से स्थायी राहत मिलेगी। सड़क की कुल चौड़ाई 24 मीटर होगी। यमुना पुल और फ्लाईओवर के एप्रोच रोड का कार्य 2026 में पूरा होने की उम्मीद है।
वृंदावन में हर सप्ताह और पर्वों पर लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। पुराने यमुना पुल और संकरी सड़कों के कारण जाम आम बात थी। नई योजना के तहत नए पुल से प्रवेश और पुराने पुल से निकास की व्यवस्था लागू होगी। इससे ट्रैफिक का दबाव बंटेगा और श्रद्धालुओं को घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा। यमुना एक्सप्रेसवे से सीधा जुड़ाव होने से वृंदावन का संपर्क दिल्ली, नोएडा और आगरा जैसे बड़े शहरों से और मजबूत होगा। इससे धार्मिक पर्यटन, होटल, धर्मशाला, व्यापार और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। सड़क अब केवल मार्ग नहीं, बल्कि आर्थिक विकास की धुरी बन रही है।
अन्य प्रमुख सड़क परियोजनाएं : जो बन रही हैं और जो स्वीकृत हैं
- 14.45 करोड़ रुपये से छाता-तरौली मार्ग चौड़ीकरण।
- 16.20 करोड़ रुपये से कोसीकलां से वांया कामर मार्ग चौड़ीकरण।
- 12.99 करोड़ से रांची गौशाला-लाडपुर रिफाइनरी मार्ग चौड़ीकरण।
28.60 करोड़ से इंटरस्टेट कनेक्टिविटी के लिए कोसी शाहपुर-चौड़रस मार्ग
10 करोड़ से नंदगांव-कामा मार्ग चौड़ीकरण (इंटर स्टेट कनेक्टिविटी)।
04 करोड़ से रिठोरा से ऊंचागांव मार्ग चौड़ीकरण।
राष्ट्रीय राजमार्ग बना आस्था का मार्ग
दिल्ली के छतरपुर से वृंदावन तक निकाली गई सनातन एकता पदयात्रा ने आगरा-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग को ऐतिहासिक साक्षी बना दिया। बागेश्वर पीठाधीश्वर के नेतृत्व में निकली इस पदयात्रा में देश के कोने कोने से साधु-संत, श्रद्धालु और भक्त शामिल हुए। धर्म ध्वजाओं के साथ जब लाखों श्रद्धालु हाईवे पर आगे बढ़े, तो दृश्य अद्भुत और भावविभोर करने वाला था। यात्रा के दौरान यातायात को रोकना पड़ा। यह राष्ट्रीय राजमार्ग केवल वाहनों का रास्ता नहीं रहा, बल्कि एक विशाल धार्मिक यात्रा का मंच बन गया। यह दृश्य इस बात का प्रमाण था कि ब्रज क्षेत्र की सड़कें अब केवल आवागमन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना की वाहक भी बन चुकी हैं। |