पलामू टाइगर रिजर्व में अंतरराष्ट्रीय तस्करी नेटवर्क ध्वस्त
उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार। जंगल अक्सर खामोश होकर सब सह लेता है। गोली की आवाज, फंदे की कसक और जहर की पीड़ा भी। लेकिन बीते एक साल में पलामू टाइगर रिजर्व के जंगलों ने चुप रहना छोड़ दिया। उन्होंने अपने रक्षकों के जरिए गरजना शुरू किया और उसी गरज में दशकों पुराना अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव तस्करी नेटवर्क धराशायी हो गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो, झारखंड वन विभाग और पलामू टाइगर रिजर्व की संयुक्त कार्रवाई ने वह कर दिखाया, जो वर्षों से अधूरा था। झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ की सीमाओं में पसरे शिकारी गिरोहों की जड़ें काट दी गईं।
20 से अधिक तस्कर सलाखों के पीछे हैं और जंगल से छीने गए जीवन के सबूत कानून की मेज पर रखे जा चुके हैं।
80 करोड़ का जहर व अंतरराष्ट्रीय साजिश
विभाग की छापेमारी ने पूरे देश को चौंका दिया। सांप का जहर जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में (करीब 80 करोड़ आंकी गई) जब्त किया गया।
उस पर लगा फ्रांस का टैग इस सच्चाई को उजागर करता है कि यहां के जंगल के सन्नाटे से निकली तस्करी की डोर यूरोप की प्रयोगशालाओं और एशिया के काले बाजार तक जुड़ी थी। साथ ही 16 किलो पैंगोलिन स्केल, रेड सैंड बोआ, बाघ की उल्टी, मोर के पैर, हड्डियों का पाउडर और अवैध हथियार भी बरामद हुए।
चीन तक फैला खून का रास्ता
जांच में सामने आया कि शिकार के बाद अंगों को कोलकाता और वाराणसी भेजा जाता था। वहां से रास्ते खुलते थे नेपाल और बांग्लादेश के, और मंज़िल होती थी चीन, वियतनाम और साउथ ईस्ट एशिया। बाघ की हड्डी, सांप का जहर और पैंगोलिन के स्केल सब कुछ लालच और अंधविश्वास के बाजार में बेचा जा रहा था।
नक्सल छाया हटी, जंगल ने सच उगला
तीन दशकों तक नक्सल प्रभाव के कारण पलामू टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा वनकर्मियों की पहुंच से बाहर रहा। बूढ़ापहाड़ जैसे इलाके अपराधियों की शरणस्थली बने रहे। लेकिन जैसे ही नक्सल पकड़ ढीली पड़ी, जंगल ने अपने जख्म दिखाने शुरू कर दिए। हर गिरफ्तारी के साथ एक परत खुली, हर बरामदगी के साथ एक कहानी सामने आई।
देसी फंदे से हाईटेक जहर तक शिकार के तरीके क्रूर और सुनियोजित थे। कहीं जंजीर और ट्रैप, कहीं आधुनिक जहर। कहीं प्रशिक्षित कुत्तों से जानवरों को दबोचना, तो कहीं राजस्थान से आए शिकारी बाघ मारने की ट्रेनिंग देते मिले।
तस्करी पर लगाम, अब जंगल संरक्षण का कार्य
अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता के साथ वन विभाग अब सिर्फ गिरफ्तारी नहीं कर रहा, बल्कि गांव-गांव जाकर लोगों को समझा रहा है कि जंगल का हर जीव जीवन का हिस्सा है, किसी मान्यता का सामान नहीं।
यह एक साल की उपलब्धि सिर्फ कार्रवाई नहीं, एक संदेश है कि लातेहार-पलामू के जंगल अब लुटेंगे नहीं। यहां अब तस्करों का नहीं, संरक्षण का राज चलेगा। |