जागरण संवाददाता, कानपुर। माघ मेला के दौरान गंगा नदी की अविरलता और निर्मलता से किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।
शासन के निर्देशों के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा और उसकी सहायक पांडु नदी को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए 335 औद्योगिक इकाइयों को नोटिस जारी किए हैं। बंदी का पालन न करने पर बिजली कटौती के साथ ही अन्य कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
माघ मेला के दौरान जारी रोस्टर के अनुसार 24 दिनों तक टेनरियों को बंद करना होगा। यह बंदी 31 दिसंबर से 15 फरवरी तक लागू होगी। पौष पूर्णिमा, मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के स्नान पर्वों से तीन दिन पहले टेनरियों को बंद कराया जाएगा।
बोर्ड ने साफ किया है कि तीन जनवरी से 15 फरवरी तक चलने वाले माघ मेले के दौरान किसी भी उद्योग को गंदा पानी गंगा व पांडु नदी में छोड़ने की अनुमति नहीं होगी।
नोटिस की सबसे अहम शर्त यह है कि रोस्टर के अनुसार प्रमुख स्नान पर्वों के दौरान कई उद्योगों को अपना उत्पादन पूरी तरह बंद रखना होगा।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल शुष्क प्रक्रिया पर आधारित उद्योग और आवश्यक सेवाओं से जुड़ी इकाइयां जैसे अस्पताल, होटल, डेयरी और मिल्क चिलिंग प्लांट भी तभी संचालित होंगे, जब उनके एसटीपी तय मानकों पर खरे उतरेंगे।
माघ मेले के दौरान टेनरियों के साथ ही अन्य उद्योगों के संचालन के लिए भी रोस्टर जारी किया गया है। पूर्ण रूप से शुष्क और आवश्यक सेवाओं से जुड़ी इकाइयों पर रोस्टर लागू नहीं होगा। हालांकि निगरानी सभी उद्योगों की की जाएगी, ताकि गंगा में दूषित जल का प्रवाह न हो सके।
अजीत कुमार सुमन, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी |