हरियाणा के नरेंद्र ने बनाया विश्व रिकॉर्ड (सोशल मीडिया फोटो)
डिजिटल डेस्क, हिसार। हरियाणा के एक हाई-एल्टीट्यूड क्लाइंबर ने मेक्सिको की सबसे ऊंची चोटी और नॉर्थ अमेरिका के सबसे ऊंचे ज्वालामुखी पिको डी ओरिज़ाबा के शिखर पर भारतीय माउंटेनियरिंग टीम को लीड करके अपना नाम रिकॉर्ड बुक में दर्ज करा लिया है। यह सफल अभियान दिसंबर 2025 में पूरा हुआ। यह ग्लोबल लेवल पर भारतीय पर्वतारोहण के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ हैं विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हिसार के रहने वाले नरेंद्र कुमार ने कहा कि यह कामयाबी टीम के हर सदस्य की मिली-जुली कोशिश, अनुशासन और पक्के इरादे का नतीजा है। इस कामयाबी पर गर्व जताते हुए उन्होंने बताया कि उनका सफर अभी खत्म नहीं हुआ है और आगे और भी मुश्किल चुनौतियां हैं। कुमार ने बताया कि उनका अगला लक्ष्य सर्दियों में माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर चढ़ाई करना है, जिससे दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ने का उनका सपना हकीकत में बदल जाएगा।
कौन हैं नरेंद्र कुमार?
पर्वतारोही नरेंद्र कुमार मूल रूप से हरियाणा के अंतर्गत हिसार के नलवा हलके के गांव मिंगनी खेड़ के निवासी है। इंस्टाग्राम पर उनके 26 हजार से भी ज्यादा फॉलोअर्स हैं, इसके साथ ही वह फिट इंडिया ऑफ के ब्रांड एम्बेसडर हैं।
वह अन्नपूर्णा और माउंट किलिमंजारो और माउंट ल्होत्से भी फतेह कर चुके हैं। वह इंस्टाग्राम पर अपनी वीडियो के जरिए क्लाइमिंग करना भी सिखाते हैं तथा क्लाइमिंग को लेकर लोगों का मार्गदर्शन भी करते हैं।
चढ़ाई करना होता है बेहद मुश्किल
बता दें कि 5,636 मीटर (18,491 फीट) की ऊंचाई पर स्थित पिको डी ओरिज़ाबा को इसके खराब मौसम, बर्फीले इलाके और तेजी से बदलते हालात की वजह से चढ़ाई करना मुश्किल माना जाता है।
क्लाइंबर्स को तेज हवाओं, कम ऑक्सीजन लेवल और बहुत अधिक ठंड का सामना करना पड़ता है, जिससे सफलता के लिए फिजिकल स्टैमिना और मेंटल रेज़िलिएंस दोनों जरूरी हो जाते हैं। इंडियन टीम ने इस चढ़ाई को मुश्किल ऊंचाई वाले हालात में स्टैमिना और फोकस का स्टेप-बाय-स्टेप टेस्ट बताया है।
जामापा ग्लेशियर रूट पर मौजूद यह यात्रा एक्सपीडिशन पिएड्रा ग्रांडे रिफ्यूज से शुरू हुई। इस रूट को पूरा करने में आमतौर पर कई घंटे लगते हैं और फिसलन भरी चट्टानों, ग्लेशियर और ताज़ी बर्फ पर चलने के लिए क्रैम्पन और आइस एक्स जैसे इक्विपमेंट का इस्तेमाल करना पड़ता है। सब-ज़ीरो टेम्परेचर के बावजूद, मजबूत कोऑर्डिनेशन और कड़े सेफ्टी प्रोटोकॉल की वजह से टीम ने सुरक्षित चढ़ाई पूरी की।
क्यों खास है पिको डी ओरिजाबा माउंटेनियरिंग?
पिको डी ओरिज़ाबा की माउंटेनियरिंग की दुनिया में एक खास जगह है और इसे अक्सर वोलकेनिक सेवन समिट्स की तैयारी करने वाले क्लाइंबर्स के लिए ट्रेनिंग ग्राउंड के तौर पर देखा जाता है। हालांकि, यह हिमालय की कुछ चोटियों जितना टेक्निकली मुश्किल नहीं है, लेकिन इसकी ऊंचाई और मुश्किल हालात इसे एंड्योरेंस, एडजस्ट करने की क्षमता और हाई-एल्टीट्यूड की तैयारी का एक आइडियल टेस्ट बनाते हैं। |