सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, देहरादून: नेहरू कालोनी थाना क्षेत्र में साइबर ठग ने रिटायर्ड बैंक कर्मचारी को शिकार बनाकर उनके खाते से 10 लाख रुपये उड़ा लिए। ठग ने खुद को बैंक का मैनेजर बताकर वेरिफिकेशन के नाम पर मोबाइल हैक कर लिया और उनकी एफडी समय से पहले तोड़कर रकम ट्रांसफर कर दी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अजबपुर कलां स्थित तरुण विहार निवासी मनवीर प्रसाद जोशी बैंक आफ बड़ौदा के सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। पुलिस को दी तहरीर में उन्होंने बताया कि 22 नवंबर को उन्होंने फेसबुक पर बैंक आफ बड़ौदा रिटायर कर्मचारी पहचान पत्र बनवाने का एक पेज देखा।
सुविधाओं के लालच में उन्होंने वहां आवेदन कर दिया। कुछ ही देर बाद उनके पास फोन आया। काल करने वाले ने खुद को बैंक की अलकापुरी शाखा का मैनेजर \“मिश्रा\“ बताया।
पीड़ित के अनुसार वेरिफिकेशन के बहाने जालसाज ने उनका मोबाइल हैक कर लिया। करीब एक घंटे तक फोन उनके नियंत्रण से बाहर रहा और मोबाइल डेटा भी बंद हो गया।
अनहोनी की आशंका होने पर जब वह बैंक पहुंचे, तो पता चला कि जालसाजों ने उनकी 10 लाख रुपये की एफडी समय से पहले तोड़कर रकम ट्रांसफर कर दी। ठगी का पता चलते ही मनवीर प्रसाद और उनकी पत्नी सदमे में आ गए। दोनों हृदय रोगी हैं और अकेले रहते हैं।
मुंबई में रहने वाले उनके बेटे ने तुरंत आनलाइन साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद पीड़ित ने नेहरू कालोनी थाने जाकर लिखित शिकायत दी।
एसओ नेहरू कालोनी संजीत कुमार ने बताया कि शिकायत के आधार पर साइबर ठगी के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस अब मोबाइल काल रिकार्ड और बैंक ट्रांजेक्शन की जांच कर ठगों की पहचान करने में जुटी है।
एनआइए अधिकारी बनकर बुजुर्ग से डेढ़ लाख ठगे
देहरादून: साइबर ठग ने एक रिटायर्ड बुजुर्ग को निशाना बनाते हुए खुद को एनआइए अधिकारी बताकर वीडियो काल की और आतंकी संगठन से जुड़े होने का डर दिखाकर उनसे डेढ़ लाख रुपये ठग लिए। मामले में नेहरू कालोनी थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
ओम विहार अजबपुर कलां निवासी खुशहाल सिंह रावत (73) को 21 नवंबर को एक अनजान नंबर से वीडियो काल आई। काल करने वाले ने अपना नाम संदीप राय और खुद को एनआइए अधिकारी बताया।
जालसाज ने कहा कि बुजुर्ग के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर 538 करोड़ रुपये का अवैध लेनदेन किया गया है। इसके बाद उन्हें डिजिटल अरेस्ट का भय दिखाते हुए खाते में जमा रकम तीन दिन के क्लीयरेंस के लिए बताए गए बैंक खाते में भेजने को कहा गया।
डर के कारण बुजुर्ग झांसे में आ गए व अपने बैंक खाते से डेढ़ लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। बाद में ठगी का अहसास होने पर स्वजन को जानकारी दी गई और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई।
डिजिटल अरेस्ट व अन्य साइबर ठगी से ऐसे करें बचाव
- अनजान काल से सतर्क रहें: पुलिस, सीबीआइ, एनआइए या बैंक कभी भी फोन/वीडियो काल पर गिरफ्तारी या जांच की धमकी नहीं देते।
- डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं: इस नाम से डराना पूरी तरह ठगी है, तुरंत काल काट दें।
- ओटीपी, पिन और पासवर्ड साझा न करें: बैंक या सरकारी एजेंसी कभी गोपनीय जानकारी नहीं मांगती।
- फोन/कंप्यूटर का रिमोट एक्सेस न दें: किसी भी एप को इंस्टाल कराने या स्क्रीन शेयर कराने से बचें।
- पैसे ट्रांसफर का दबाव हो तो अलर्ट हो जाएं: वेरिफिकेशन या क्लियरेंस के नाम पर पैसा भेजने को कहना ठगी का संकेत है।
- एफडी, केवाईसी, खाता फ्रीज जैसी धमकियों से न डरें: पहले अपने बैंक या संबंधित विभाग में स्वयं जाकर पुष्टि करें।
- इंटरनेट मीडिया लिंक और विज्ञापनों से सावधान: फर्जी पहचान पत्र, पेंशन या लाभ दिलाने वाले पेज अकसर ठगी का जाल होते हैं।
- स्वजन से तुरंत बात करें: किसी भी संदिग्ध काल पर अकेले निर्णय न लें, परिवार या भरोसेमंद व्यक्ति को बताएं।
- शिकायत तुरंत दर्ज कराएं: ठगी या प्रयास होने पर 1930 हेल्पलाइन या cybercrime.gov.in पर शिकायत करें।
- वरिष्ठ नागरिक विशेष सतर्क रहें: ठग अक्सर बुजुर्गों को डर और भ्रम में डालकर निशाना बनाते हैं।
- याद रखें: डर दिखाकर पैसा मांगना साइबर ठगी का सबसे बड़ा संकेत है। शांत रहें, जांच करें और तुरंत शिकायत करें।
यह भी पढ़ें- ऑनलाइन निवेश का झांसा 1.30 करोड़ की ठगी, साइबर ठगों ने चंडीगढ़ में बुजुर्ग को बनाया निशाना
यह भी पढ़ें- थार, लग्जरी बाइक्स और 69 लैपटॉप: शाहजहांपुर में साइबर ठगों की अय्याशी का अंत, ऐसे फंसाते थे जाल में |