केंद्र सरकार पर लंबित बकाया राशि और योजनागत फंड को लेकर झारखंड सरकार ने अपना दबाव और तेज कर दिया है।
राज्य ब्यूरो, रांची। केंद्र सरकार से लंबित बकाया राशि और योजनागत फंड को लेकर झारखंड सरकार ने अपना दबाव और तेज कर दिया है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे पर हुई तीखी बहस के बाद अब राज्य सरकार की रणनीति खुलकर सामने आ गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सरकार ने केंद्र पर फंड रोकने और झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए सीधे दिल्ली में मंत्रियों के स्तर पर पहल शुरू कर दी है।
इसी क्रम में विभिन्न विभागों के मंत्री इन दिनों राजधानी दिल्ली का दौरा कर केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं और लंबित राशि जल्द जारी करने की मांग उठा रहे हैं।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि ग्रामीण विकास, सामाजिक कल्याण, पेयजल, आवास और रोजगार से जुड़ी कई केंद्रीय योजनाओं की राशि लंबे समय से अटकी हुई है, जिससे राज्य की योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।
सत्र में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच इस मुद्दे पर जमकर बहस हुई। सरकार ने स्पष्ट किया कि यदि केंद्र से समय पर फंड नहीं मिला तो इसका सीधा असर राज्य के गरीब, आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों पर पड़ेगा।
मंत्रियों की दिल्ली दौड़, केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात
सत्र समाप्त होते ही झारखंड सरकार के मंत्रियों की दिल्ली दौड़ तेज हो गई है। ग्रामीण विकास, कल्याण, पेयजल एवं स्वच्छता समेत कई अहम विभागों के मंत्री अपने-अपने मंत्रालयों से जुड़े केंद्रीय मंत्रियों से मिलकर बकाया राशि और योजनागत फंड जारी करने की मांग रख रहे हैं।
राज्य सरकार का तर्क है कि सभी जरूरी दस्तावेज और उपयोगिता प्रमाण पत्र समय पर भेजे गए हैं, इसके बावजूद फंड रोके गए हैं, जो संघीय ढांचे की भावना के खिलाफ है।
राज्य सरकार की यह पहल सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी अहम मानी जा रही है। विधानसभा में मुद्दा उठाकर सरकार ने जनता के बीच संदेश दिया, वहीं अब दिल्ली में सीधी बातचीत कर दबाव बनाया जा रहा है।
यह रणनीति केंद्र को यह दिखाने के लिए है कि झारखंड अपने अधिकारों के लिए अब आर-पार की लड़ाई के मूड में है। सरकार का कहना है कि विकास कार्यों के लिए राज्य को उसके हक की राशि मिलनी ही चाहिए।
इधर भाजपा भी हुई सक्रिय
भाजपा ने भी बदले हालात को भांपते हुए केंद्र के साथ समन्वय और सक्रियता बढ़ा दी है। पार्टी के नेता यह दावा कर रहे हैं कि केंद्र सरकार किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं करती और तकनीकी कारणों या प्रक्रियागत खामियों के चलते फंड में देरी होती है।
भाजपा नेता दिल्ली में संगठन और सरकार के स्तर पर संवाद बढ़ाकर स्थिति संभालने की कोशिश में जुटे हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी, कार्यकारी अध्यक्ष सह राज्यसभा सदस्य आदित्य साहू, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य दीपक प्रकाश समेतअन्य नेताओं ने भी दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात का क्रम आरंभ किया है।
पार्टी की यह रणनीति केंद्र पर असहयोग का आरोप लगाने का जवाब देने की रणनीति का अहम हिस्सा है। केंद्र और राज्य के बीच बकाया राशि को लेकर शुरू हुआ यह टकराव आने वाले दिनों में और तेज होने के संकेत दे रहा है।
यदि जल्द समाधान नहीं निकला तो यह मुद्दा राजनीतिक रूप से और धार पकड़ सकता है। फिलहाल झारखंड सरकार की नजर केंद्र के अगले कदम पर टिकी है, जबकि दिल्ली की बैठकों से राज्य को सकारात्मक संकेत मिलने की उम्मीद की जा रही है। |