बिल्डर शाश्वत गर्ग और उसकी पत्नी। जागरण
अंकुर अग्रवाल, देहरादून। दून में निवेशकों और बैंकों के करोड़ों रुपये हड़प कर फरार बिल्डर शाश्वत गर्ग और उनके परिवार का भले ही पुलिस अब तक कोई सुराग न तलाश पाई हो, लेकिन शुरुआती जांच में ही यह जरूर सामने आया है कि राजनगर गाजियाबाद की जिस गोल्डन एरा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर यह घोटाला हुआ है, वह संभवत: इसी मकसद से खोली गई थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस कंपनी में केवल शाश्वत गर्ग, उनके पिता प्रवीण गर्ग व मां अंजली ही निदेशक नहीं हैं, बल्कि शाश्वत के साले सुलभ गोयल और कुशाल गोयल भी निदेशकों में शामिल हैं। यह कंपनी वर्ष-2022 से घाटे में आ गई और 51 प्रतिशत की गिरावट के साथ इसका टर्न-ओवर महज 11 करोड़ रुपये रह गया था। पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला कि यह कंपनी राजनगर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में 30 दिसंबर 2013 को खोली गई थी।
इसका पंजीकरण कानपुर में कराया गया। यानी कंपनी देहरादून में मसूरी रोड पर आवासीय परियोजना आरकेडिया हिलाक्स लांच करने से महज तीन माह पहले ही खोली गई। क्योंकि, यहां गर्ग परिवार ने आवासीय परियोजना के लिए जमीन का करार 14 मार्च-2014 को राजेंद्र कुमार के साथ किया। इसके बाद खुद की कंपनी से ही परियोजना की पावर आफ अर्टानी शाश्वत के नाम कर दी गई।
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जांच में यह भी पता चला है कि शाश्वत के हापुड़ निवासी ससुरालियों को गर्ग परिवार के भागने की पूरी जानकारी थी, इसके बावजूद सुलभ ने हापुड़ कोतवाली में 17 अक्टूबर को जीजा व उनके परिवार के लापता होने की शिकायत दर्ज करा अनहोनी की आशंका जताई, ताकि मामले को नया मोड़ दिया जा सके।
पिता व सालों को बाद में बनाया निदेशक
शाश्वत और उनकी मां अंजली गर्ग कंपनी के संस्थापक निदेशकों में शामिल हैं, जबकि प्रवीण गर्ग और शाश्वत के दोनों सालों सुलभ व कुशाल गोयल को करीब आठ वर्ष बाद निदेशकों में शामिल किया गया। इन तीनों को 11 सितंबर-2021 को निदेशक नियुक्त किया गया, जबकि शाश्वत व अंजली 30 दिसंबर-2013 से ही निदेशक हैं। |