जागरण संवाददाता, मथुरा। उच्चाधिकार प्रबंधन समिति की बैठक में भीड़ नियंत्रण का मुद्दा बार-बार उठता है, लेकिन कोई प्रभावी निर्णय नहीं हो पा रहा है। कतारबद्ध दर्शन कराने के लिए भी अब तक रेलिंग की व्यवस्था नहीं हो पाई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसके लिए आइआइटी रुड़की के विशेषज्ञ दोबारा सर्वे करने आएंगे। 15 दिसंबर के बाद ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में भीड़ बढ़ेगी। ऐसे में भीड़ नियंत्रण के उपाय न होने से हालात बिगड़ेंगे।
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के बेहतर प्रबंधन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उच्चाधिकार प्रबंधन समिति का गठन किया है। समिति की आठ बैठकें हो चुकी हैं। मंदिर में सबसे बड़ी समस्या भीड़ नियंत्रण की है, लेकिन अब तक भीड़ नियंत्रण के लिए कोई प्रभावी उपाय नहीं हो पाए हैं। पूर्व में मंदिर में कतारबद्ध होकर श्रद्धालुओं को दर्शन कराने का निर्णय हुआ।
इसके लिए मंदिर परिसर में रेलिंग लगानी है। रेलिंग लगाने से पहले आइआइटी रुड़की के विशेषज्ञों से भवन का आडिट कराया जाना है। एक बार टीम ने आकर सर्वे किया। अब एक बार फिर टीम सर्वे करने आएगी। इसके बाद ही रेलिंग लगाने पर निर्णय होगा। गुरुवार को वृंदावन स्थित समिति के कार्यालय में हुई बैठक में फिर भीड़ नियंत्रण का मुद्दा उठा था।
समिति के सदस्य सेवायत दिनेश गोस्वामी ने कहा कि दिसंबर से जनवरी के पहले सप्ताह तक मंदिर में भीड़ अधिक होगी, इसलिए नियंत्रण करना जरूरी है। 15 दिसंबर को फिर से समिति की बैठक होगी, तब भीड़ नियंत्रण पर निर्णय लिया जाएगा।
तब तक भीड़ उमड़ेगी तो हालात खराब होंगे। समिति की बैठक में दूसरे सदस्य सेवायत शैलेंद्र गोस्वामी ने भी कहा था कि गलियारा से ज्यादा जरूरी वर्तमान में भीड़ नियंत्रण करना है, भीड़ नियंत्रण पर पहले काम हो, इसके बाद बाकी के काम किए जाएं। समिति अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक कुमार ने बताया कि आइआइटी की टीम दोबारा सर्वे करेगी। दिसंबर में जब भीड़ उमड़ेगी, उससे पहले ही व्यवस्था बना ली जाएगी।
समिति के आदेश के बाद भी नहीं हट सका कलश
संस, जागरण, वृंदावन : गुरुवार को हुई समिति की बैठक में समिति अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक कुमार ने साफ निर्देश दिए थे कि ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में दान-दक्षिणा के लिए रखा जाने वाला कलश शुक्रवार तक हटा लिया जाए। इसे लेकर समिति सदस्य सेवायत दिनेश गोस्वामी और शैलेंद्र गोस्वामी आपस में भिड़ गए थे।
दिनेश गोस्वामी कलश हटाने के पक्ष में थे, जबकि शैलेंद्र गोस्वामी ने इसे हटाने से इन्कार किया। समिति के आदेश के बाद भी कलश शुक्रवार को नहीं हटा। जैसे पूर्व में उसमें दान-दक्षिणा रखा जाता है, वैसे ही रखा जाता रहा। |