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Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या आज, इस शुभ मुहूर्त में करें स्नान-दान, जानें पूजन नियम

deltin33 2025-11-20 11:36:47 views 298

  

Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या स्नान-दान का महत्व।



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष अमावस्या का विशेष महत्व है। यह तिथि भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और पितरों की आराधना के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। इस माह की अमावस्या तिथि पर किए गए स्नान-दान और पितृ तर्पण से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसे अगहन अमावस्या भी कहते हैं। इस साल यह (Margashirsha Amavasya 2025) 20 नवंबर यानी आज के दिन मनाई जा रही है, तो आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
मार्गशीर्ष अमावस्या स्नान-दान समय (Margashirsha Amavasya 2025 Snan-Daan Time)

हिंदू पंचांग के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 53 मिनट से 05 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 34 मिनट से 06 बजकर 01 मिनट तक रहेगा। इस दौरान साधक स्नान-दान कर सकते हैं।
अमावस्या पर स्नान-दान का महत्व (Margashirsha Amavasya 2025 Snan-Daan Significance)

मार्गशीर्ष अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से कई गुना अधिक फल मिलता है। यह दिन पितरों को समर्पित होता है। इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने से उन्हें शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या पर किए गए दान से सभी पापों का नाश होता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या पूजन नियम (Margashirsha Amavasya 2025 Rituals)

  • सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करने जाएं।
  • अगर यह संभव न हो, तो घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के कलश से अर्घ्य दें।
  • दक्षिण दिशा की ओर मुख करके अपने पितरों के लिए जल से तर्पण करें।
  • पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु और सभी देवी-देवताओं का वास माना जाता है। ऐसे में इस दिन पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और परिक्रमा करें।
  • क्षमता के अनुसार गरीब या ब्राह्मण को तिल, काला कंबल, अनाज या कपड़े का दान करें।

मार्गशीर्ष अमावस्या पितृ पूजन मंत्र (Margashirsha Amavasya 2025 Puja Mantra)

1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।।
2. ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः।।
3. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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