जागरण संवाददाता, खगड़िया। खगड़िया जिला की सभी चार विधानसभा अलौली (सुरक्षित), खगड़िया सदर, बेलदौर और परबत्ता में एनडीए ने जीत का परचम लहराया है। एनडीए ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है।
मालूम हो कि 2020 के विधानसभा चुनाव में अलौली से राजद और खगड़िया से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, जबकि बेलदौर और परबत्ता से जदयू ने परचम लहराया था।
2025 के विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान होने से कुछ दिनों पहले परबत्ता के जदयू विधायक डॉ. संजीव कुमार राजद में चले गए। और महागठबंधन समर्थित राजद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शुक्रवार को हुई मतगणना बाद खगड़िया जिले का परिणाम अचंभित करने वाला रहा। जिले के सभी चार विधानसभा में एनडीए ने जहां जीत का परचम लहराया, वहीं महागठबंधन का सुपड़ा साफ हो गया। महागठबंधन एक भी सीट नहीं बचा सकी।
बता दें कि वर्ष 2015 के चुनाव में जिले के एक मात्र अलौली(सुरक्षित) विधानसभा में राजद ने जीत हासिल की थी। और शेष विधानसभा में जदयू ने जीत का परचम लहराया था।
2020 के चुनाव में अलौली विधानसभा की सीट राजद बचाने में सफल रही। वहीं खगड़िया विधानसभा की सीट जदयू से कांग्रेस ने छीन ली। इस प्रकार 2020 में दो सीट पर महागठबंधन और दो सीट पर एनडीए ने कब्जा जमाया। परंतु 2025 के चुनाव में महागठबंधन को सभी सीटों से हाथ धोना पड़ा।
खगड़िया के साथ अलौली सीट भी महागठबंधन गंवा बैठी। जिस पर बीते दो टर्म से राजद का कब्जा था। राजद विधायक रामबृक्ष सदा को यहां बड़े हार का सामना करना पड़ा है। जदयू के रामचंद्र सदा ने उन्हें 35 हजार 732 मतों से पराजित किया। हार का कारण विधायक रामबृक्ष सदा का विरोध रहा।
वहीं खगड़िया में इस दफा कांग्रेस ने विधायक छत्रपति यादव को बेटिकट कर डॉ. चंदन यादव को प्रत्याशी बनाया। पर यह दाव उल्टा पड़ गया और कांग्रेस को यह सीट गंवानी पड़ी। जदयू के बबलू मंडल ने कांग्रेस के डॉ. चंदन यादव को 23 हजार 715 मतों से हराया। इस प्रकार महागठबंधन ने अपनी दोनों सीट इस चुनाव में गंवा दी।
जबकि बेलदौर से एनडीए समर्थित जदयू के विधायक पन्ना लाल सिंह पटेल एक बार फिर यहां से जीत दर्ज की है। वहीं परबत्ता विधानसभा से विधायक डॉ. संजीव कुमार को हार का सामना करना पड़ा है। जदयू छोड़कर राजद का दामन थामना उन्हें महंगा साबित हुआ।
एनडीए को जिला में मिली जबरदस्त जीत का प्रमुख कारण सुशासन और विकास रहा। इसके साथ ही जीविका से जुड़ी महिलाओं को मिली 10 हजार की राशि ने जीत का मार्ग प्रशस्त किया। महिलाओं का वोट प्रतिशत जिला में पुरुषों से अधिक रहा। वहीं सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि में बढ़ोतरी ने भी रामबाण का काम किया। चुनावी एक्सपर्टों के अनुसार- सत्तापक्ष की ओर से जंगलराज की वापसी का नारा ने भी बड़ा काम किया।
यह भी पढ़ें- Bihar Politics: हार गई जन सुराज, मगर फिर भी PK ने BJP को दिया दुख; यहां हो गया \“खेला\“
यह भी पढ़ें- Bihar Government Formation: नीतीश कुमार देंगे इस्तीफा, कब होगी CM पद की शपथ? |