search

गुणवत्ता नियम लागू होते ही मैन्युफैक्चरिंग को मिली रफ्तार, उद्यमियों ने बताया कितना पहुंच रहा फायदा

deltin33 2025-11-13 02:38:25 views 728
  

गुणवत्ता नियम लागू होने से फिर से बनने लगी फ्लास्क बोतल और मोटरसाइकिल चेन। (फाइल फोटो)



राजीव कुमार, जागरण। गुणवत्ता नियम लागू होने से निर्माण कीमत में बढ़ोत्तरी का सवाल उठाकर कुछ लोगों की ओर से इसका विरोध भले ही होता रहा हो, पर सच्चाई यह है कि इसके अमल से घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहन मिलता दिख रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

खिलौना, प्लाइवुड के बाद अब फ्लास्क बोतल, रोलर चेन, स्क्रू व लाइटर जैसे आइटम का फिर से घरेलू स्तर पर निर्माण होने लगा है। इन आइटम के निर्माता मुख्य रूप से एमएसएमई सेक्टर के हैं। साल-डेढ़ साल पहले तक घरेलू जरूरत पूरी करने के लिए इन वस्तुओं का भारी मात्रा में आयात होता था। अब इन वस्तुओं का निर्यात भी हो रहा है।
गुणवत्ता नियम में ढील से मैन्यूफैक्चरिंग को लगेगा धक्का?

हालांकि उद्यमियों का यह भी कहना है कि गुणवत्ता नियम में ढील देने पर मैन्यूफैक्चरिंग को फिर से धक्का लग सकता है। लागत बढ़ने के नाम पर आयातक समूह पिछले कुछ माह से गुणवत्ता नियम में ढील के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं। भारत में अब तक सिर्फ 191 आइटम के निर्माण को गुणवत्ता नियम के तहत लाया गया है जबकि अमेरिका व चीन जैसे देशों में 5000 से अधिक आइटम के लिए गुणवत्ता नियम लागू है।
गुणवत्ता नियम लागू करने पर क्या होता है असर?

गुणवत्ता नियम को लागू करने के लिए उन आइटम के निर्माण पर भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) से सर्टिफिकेट लेना पड़ता है। वर्ष 2024 में फ्लास्क बोतल के लिए गुणवत्ता नियम आने से पहले भारत में मुख्य रूप से चीन से 600 करोड़ से अधिक मूल्य की बोतल का आयात किया जाता था। पिछले वित्त वर्ष 2024-2025 में सिर्फ 538 करोड़ का आयात किया गया। वहीं फ्लास्क बोतल के निर्यात में गुणवत्ता नियम से पहले की तुलना में पिछले वित्त वर्ष में 54 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
नियम लागू होने से क्या पड़ा प्रभाव?

जोधपुर स्थित फ्लास्क बोतल निर्माता कंपनी नैनोबोट के निदेशक विकास जैन ने बताया कि गुणवत्ता नियम के लागू होने से पहले वे प्रतिदिन 8-10 हजार बोतल बनाते थे और अब वे रोजाना 30 हजार फ्लास्क बोतल बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में फ्लास्क बोतल बनाने वाली 100 छोटी फैक्टि्रयां बाजार में आ गई है और 25-30 पाइप लाइन में हैं। पहले चीन से काफी कम कीमत में इस प्रकार की घटिया बोतल आ रही थी।

नार्दर्न इंडियन स्क्रू मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष जसबीर सिंह ने बताया कि स्कू में गुणवत्ता नियम नहीं होने से पहले आयातित घटिया स्कू लगाए जाते थे, जिससे सीलिंग और दरवाजे टूट जाते थे। क्योंकि आयातक स्टैंडर्ड 1100 ग्राम की स्क्रू की जगह 900 ग्राम की स्क्रू बेच रहे थे। सिंह ने बताया कि चीन से बिना गुणवत्ता की स्क्रू की भरमार होने से पिछले कुछ सालों में 200 से अधिक छोटी फैक्टि्रयां बंद हो गई थी। अब फिर से ये फैक्टि्रयां वापस स्क्रू बनाने लगी है। चीन से आने वाली स्क्रू की कीमत मात्र 70 रुपए थी जबकि भारत में निर्माण लागत ही 129 रुपए थी।

स्क्रू बनाने वाली अधिकतर फैक्ट्री 5-20 करोड़ टर्नओवर वाली है।मशीनरी व मोटरसाइकिल में इस्तेमाल होने वाली रोलर चेन मैन्यूफैक्च¨रग एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल बेदी ने बताया कि वर्ष 2022-23 में भारत में 10,400 टन चेन का आयात किया गया था और पिछले साल रोलर चेन में गुणवत्ता नियम लागू होने के बाद आयात में 80 प्रतिशत की कमी आई है। आयातित चेन में पहले उनकी मोटाई से समझौता कर लिया जाता था और इससे चेन टूटने से काफी दुर्घटनाएं भी होती थी। अब मानक ब्यूरो से प्रमाणित होने के बाद भारतीय चेन की वैश्विक बाजार में भी मांग बढ़ रही है।
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments
deltin33

He hasn't introduced himself yet.

1310K

Threads

0

Posts

3910K

Credits

administrator

Credits
399372

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com