अस्पतालों के लगेंगी रोगों की जांच की आधुनिक मशीनें, इस वजह से केवल मेडिकल कॉलेज व इंस्टीट्यूट में हो रही जांच

deltin33 2025-11-12 13:06:42 views 836
  



राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सरकारी अस्पतालों के ब्लड बैंक को गंभीर संक्रामक रोगों की जांच के लिए जरूरी न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (नैट) मशीनें भी दी जाएंगी। इससे हेपेटाइटिस बी व सी, एचआईवी जैसे संक्रमण की जांच जल्द हो सकेगी। इससे जरूरतमंदों को सुरक्षित रक्त जल्द उपलब्ध कराया जा सकेगा। नैट मशीन रक्त में कम समय में हुए रक्त में संक्रमण की जांच करने में सक्षम हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में 78 और मेडिकल कालेज इंस्टीट्यूट में 33 ब्लड बैंक हैं। इनमें से वर्तमान में केजीएमयमू, एसजीपीजीआई और डॉ. आरएमएल इंस्टीट्यूट में इन मशीनों से मरीजों को दिए जाने वाले खून की जांच की जाती है। लखनऊ के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल के रक्त के नमूने भी केजीएमयू में जांचें जाते हैं।

डॉ. आरएमएल इंस्टीट्यूट में बलरामपुर अस्पताल लखनऊ के ब्लड बैंक की नमूनों की जांच की जाती है।इसी तरह कई अन्य छोटे ब्लड बैंक के नमूनों की जांच के लिए बीएचयू व अलीगढ़ मेडिकल कालेज से जोडॉ. गया है। अब प्रयास किया जा रहा है कि प्रदेश के अन्य बड़े सरकारी ब्लड सेंटर पर भी नैट मशीन लगाई जाए।

एक ब्लड सेंटर के प्रभारी बताते हैं कि दो करोड़ रुपये से अधिक मशीन होने के कारण शुरुआत में ऐसे सेंटर पर मशीनें दी जाएंगी, जहां अन्य सेंटर से रक्त के नमूने लेकर आसानी से जांच हो सके। ब्लड सेंटर की क्षमता के अनुसार ये तय किया जाएगा।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक डॉ. सूर्यांश ओझा बताते हैं कि ब्लड सेंटर के लिए नैट सहित कई अन्य उपकरणों को खरीदने के लिए प्रस्ताव बने हैं। इसकी अनुमति ली जा रही है।

नैट टेस्ट क्या है?

न्यूक्लिक एसिड टेस्ट या नैट जांच रक्त में एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण का पता लगाने के लिए की जाती है। इससे मरीजों की जान बचाने वाले रक्त की गुणवत्ता बनी रहती है। रक्त चढ़ाने से होने वाले संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए ये सबसे प्रभावी जांच हैं।

केजीएमयू की ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की हेड डॉ. तूलिका चंद्रा बताती है कि यदि किसी मरीज को एचआईवी संक्रमण आठ से दस दिन पहले हुआ है तो नैट जांच में ये पकड़ में आ जाएगा।

इसी तरह हेपेटाइटिस बी व सी संक्रमण दो सप्ताह के अंदर हुआ है तो नैट जांच में इसका पता लग जाएगा। यदि एलाइजा तकनीक से रक्त की जांच हो तो यही रिपोर्ट निगेटिव आएगी, क्योंकि इस तकनीक से कम से कम तीन महीने पुराने संक्रमण की जांच हो पाती है।
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