Kaal Bhairav Jayanti 2025: इस आरती से करें काल भैरव देव को प्रसन्न, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

cy520520 2025-11-12 11:36:53 views 872
  

Kaal Bhairav Jayanti 2025: काल भैरव जयंती का धार्मिक महत्व



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि काल भैरव देव को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर काल भैरव जयंती मनाई जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि अगहन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान शिव के रौद्र रूप का अवतरण हुआ था। इसके लिए हर साल मार्गशीर्ष माह में काल भैरव जयंती मनाई जाती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

पंचांग की गणना अनुसार इस साल बुधवार 12 नवंबर को काल भैरव जयंती है। इस मौके पर काल भैरव देव की विशेष पूजा की जाएगी। साथ ही विशेष कामों में सफलता और शुभता पाने के लिए साधक व्रत भी रखेंगे। काल भैरव देव की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के काल, कष्ट, दुख और संकट दूर हो जाते हैं।

अगर आप भी काल भैरव देव की कृपा पाना चाहते हैं, तो कालाष्टमी के दिन भक्ति भाव से भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा करें। वहीं, पूजा का समापन भैरव जी की आरती से करें।
श्री भैरव जी की आरती

सुनो जी भैरव लाडले, कर जोड़ कर विनती करूं
कृपा तुम्हारी चाहिए , में ध्यान तुम्हारा ही धरूं

मैं चरण छूता आपके, अर्जी मेरी सुन सुन लीजिए
मैं हूँ मति का मंद, मेरी कुछ मदद तो कीजिए

महिमा तुम्हारी बहुत, कुछ थोड़ी सी मैं वर्णन करूं
सुनो जी भैरव लाडले...

करते सवारी श्वानकी, चारों दिशा में राज्य है
जितने भूत और प्रेत, सबके आप ही सरताज हैं |
हथियार है जो आपके, उनका क्या वर्णन करूं
सुनो जी भैरव लाडले...

माताजी के सामने तुम, नृत्य भी करते हो सदा
गा गा के गुण अनुवाद से, उनको रिझाते हो सदा
एक सांकली है आपकी तारीफ़ उसकी क्या करूँ
सुनो जी भैरव लाडले...

बहुत सी महिमा तुम्हारी, मेहंदीपुर सरनाम है
आते जगत के यात्री बजरंग का स्थान है
श्री प्रेतराज सरकारके, मैं शीश चरणों मैं धरूं
सुनो जी भैरव लाडले...

निशदिन तुम्हारे खेल से, माताजी खुश होती रहें
सर पर तुम्हारे हाथ रखकर आशीर्वाद देती रहे

कर जोड़ कर विनती करूं अरुशीश चरणों में धरूं
सुनो जी भैरव लाड़ले, कर जोड़ कर विनती करूं

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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