सड़क दुर्घटना पीड़ितों के अंग दान को बढ़ावा देने की कोशिश में सरकार, राज्यों को दिए अहम निर्देश

LHC0088 2025-11-10 01:37:30 views 987
  

केंद्र सरकार ने राज्यों को अंगदान को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न उपाय सुझाए हैं (प्रतीकात्मक तस्वीर)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राज्यों को अंगदान को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न उपाय सुझाए हैं। इनमें कर्मियों को प्रशिक्षण देना, अस्पतालों में विशेष टीम नियुक्त करना, ट्रामा सेंटरों को अपग्रेड करना और उन्हें अंग पुनर्प्राप्ति केंद्रों के रूप में पंजीकृत करना आदि शामिल हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

देश में अंगदान की दर प्रति 10 लाख जनसंख्या पर एक मृतक दाता से भी कम है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से कहा है कि वे आपात स्थिति में पुलिस कर्मियों, एंबुलेंस चालकों और पैरा-मेडिकल कर्मचारियों जैसे कर्मियों के लिए राज्य और जिला स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करें, ताकि सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों के अंग और टिश्यू दान कराने में सुविधा हो।
भारत में प्रतिरोपण के लिए अंगों की भारी कमी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय अंग एवं टिश्यू प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने एक पत्र में कहा कि भारत में प्रतिरोपण के लिए अंगों की भारी कमी है तथा हजारों मरीज विभिन्न अंगों के लिए प्रतीक्षा सूची में हैं। पत्र में कहा गया है कि सड़क दुर्घटनाओं के कारण बड़ी संख्या में मौतें होती हैं, खासकर युवा और स्वस्थ लोगों की।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की \“भारत में सड़क दुर्घटनाएं 2023\“ नामक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.70 लाख लोग मारे गए, जो संभावित अंगदाता हो सकते थे। इसमें कहा गया है, \“समय पर पहचान और रेफरल के अभाव में इनमें से कई संभावित अंगदाता व्यर्थ हो जाते हैं।\“
पुलिस कर्मियों, एंबुलेंस चालकों को मिलेगी ट्रेनिंग

हादसे के शिकार लोगों की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे, लेकिन मानव अंग एवं टिश्यू प्रतिरोपण अधिनियम, 1994 और उसके नियमों में निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार चिह्नित \“ब्रेन स्टेम\“ मृत्यु मामलों में अंगदान पर विचार किया जा सकता है।

डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि आपात स्थिति में पुलिस कर्मियों, एंबुलेंस चालकों और अन्य कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि इन कर्मियों से निकटतम ट्रामा सेंटर या अस्पतालों में सूचना प्रसारित करने के लिए तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता है।

(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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