आपकी एक आदत ही मोबाइल की स्क्रीन कर रही है खराब! ये गलती हर कोई करता है
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। आज स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा बन गए हैं। इस डिवाइस ने हमारे कई कामों को आसान बना दिया है। समय के साथ, ये डिवाइस बहुत ज्यादा एडवांस्ड हो गए हैं और पहले से कहीं ज्यादा स्मूथ एक्सपीरियंस देते हैं। कुछ फोन अब ऐसे डिस्प्ले के साथ आते हैं जो 120Hz तक या उससे भी ज्यादा का रिफ्रेश रेट सपोर्ट करते हैं, जिससे फोन बहुत ज्यादा स्मूथ लगता है, लेकिन यह तो फोन के अंदर की बात हो गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अब, अगर हम बाहर की बात करें, यानी स्क्रीन की तो हम दिन में लगभग 100 से 150 बार अपना फोन अनलॉक करते हैं और स्क्रीन को 2500 से ज्यादा बार टच करते हैं। इसी वजह से, फोन की स्क्रीन उतनी स्मूथ और चमकदार नहीं रहती जितनी वह शुरू में थी।
दरअसल स्मार्टफोन की स्क्रीन पर एक खास कोटिंग होती है जो समय के साथ खराब हो जाती है। इसे ओलियोफोबिक कोटिंग कहते हैं। बहुत से लोग अभी भी इसके बारे में नहीं जानते हैं। आज हम इसी के बारे में बात करेंगे और समझेंगे कि कैसे आपकी एक खराब आदत इस ओलियोफोबिक कोटिंग को नुकसान पहुंचा रही है।
क्या होती है ओलियोफोबिक कोटिंग?
सीधे शब्दों में कहें तो, यह ओलियोफोबिक कोटिंग एक बहुत पतली, ट्रांसपेरेंट लेयर होती है जो फोन स्क्रीन पर तेल, फिंगरप्रिंट और धूल को जमा होने से रोकती है। यही वजह है कि जब आप स्क्रीन को छूते हैं तो वह बहुत ज्यादा स्मूद महसूस होती है और उस पर आसानी से दाग नहीं लगते। अगर फोन में यह कोटिंग नहीं होती है, तो स्क्रीन जल्दी गंदी हो जाती है, और उसे साफ रखना मुश्किल हो जाता है।
बार-बार सफाई करना नुकसानदायक
आजकल, बहुत से लोगों को अपने फोन की स्क्रीन को बार बार साफ करने की आदत हो गई है, कभी शर्ट से कभी कपड़े या टिशू से। लेकिन, यह आदत अच्छी नहीं है। फोन की स्क्रीन को ज्यादा रगड़ने या केमिकल्स से क्लीन करना उसकी कोटिंग जल्दी खराब कर सकता है, जिससे स्क्रीन हमेशा के लिए धुंधली और चिपचिपी हो सकती है और आपका स्मूथ यूजर एक्सपीरियंस काफी खराब हो सकता है। हालांकि, आप टेम्परड ग्लास स्क्रीन प्रोटेक्टर का इस्तेमाल करके इस तरह की समस्या से बच सकते हैं।
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