अमित सौरभ, सीतामढ़ी। बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी चरम पर है। उम्मीदवार मोहल्लों, गलियों और चौपाल में घूम-घूमकर वादों की बारिश कर रहे हैं। जनता अब केवल सुन नहीं रही, गुन भी रही है। हर बात का हिसाब जोड़ रही है। कौन क्या बोला, किसने क्या किया और किसने बस वादा किया। पब्लिक तो सब जानती है।
सुबह के वक्त रीगा रोड की पुरानी चाय की दुकानों पर अब राजनीति का सबसे बड़ा न्यूज रूम सजता है। भाप उड़ाती चाय की केतली, प्लास्टिक की कुर्सियां और बीच में बैठे लोग जो किसी भी न्यूज़ चैनल से कम नहीं। या यूं कहिए वार रूम। यहां हर कोई रिपोर्टर, हर कोई विश्लेषक।
बुजुर्ग महेंद्र यादव चाय सुरकते हुए कहते हैं, \“हर उम्मीदवार अब अपने काम का हिसाब गिना रहा है, पर जनता सब जानती है। अब हम किसी के कहने से वोट नहीं देंगे। पहले देखेंगे कि उसने हमारे इलाके के लिए क्या किया। पास में बैठे रामविलास बाबू ठहाका लगाते हैं, पहले जो चुनाव के बाद गायब हो जाते थे, अब हर गली में दिखाई दे रहे हैं। जनता पहचान रही है, कौन वक्त का सच्चा साथी है और कौन सिर्फ मौसमी।\“
कॉलेज के छात्र आर्यन कुमार कहते हैं, \“अब जात-पात की राजनीति का जमाना गया। युवाओं को रोजगार चाहिए, सड़कों की मरम्मत चाहिए, सफाई और स्कूलों की सुध चाहिए। जो काम करने वाला होगा, वही वोट पाएगा।\“
कॉलेज छात्र आर्यन के एक साथी विवेक सिंह कहते हैं, \“अब मोबाइल पर सबके काम की लिस्ट मिल जाती है। जनता अब गूगल की तरह हो गई है, सब सर्च कर लेती है।\“ विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें |