जागरण संवाददाता, कानपुर। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने गलत आपरेशन से पैर लगभग एक इंच छोटा होने पर तीन लाख रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया है। परिवाद दाखिल करने की तारीख से भुगतान तक सात प्रतिशत ब्याज भी देना होगा। 60 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति और 10 हजार वाद व्यय देने का आदेश भी दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दाहिन पैर टूटने पर इस अस्पताल में हुआ इलाज
मेडिकल कालेज कैंपस निवासी दिनेश कुमार शुक्ला ने डा. गोविंद त्रिवेदी ट्रामा एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन वेदान्ता हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर आर्यनगर और द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी बिरहाना रोड के खिलाफ 19 फरवरी 2018 को परिवाद दाखिल किया था। इसमें कहा था कि उसका दाहिना पैर टूट गया था। चिकित्सक ने पांच अप्रैल 2016 को अपने अस्पताल में पैर का आपरेशन किया था। पैर में राड डालकर नट बोल्ट कस दिया था। सभी भुगतान करने के बाद उसे 12 अप्रैल 2016 को अस्पताल से छुट्टी दी गई।
पैर में तकलीफ हुई तो जीएसवीएम में दिखाया
पैर में तकलीफ बढ़ने पर जीएसवीएम मेडिकल कालेज के आर्थोपेडिक्स विभागाध्यक्ष डा. एके गुप्ता को दिखाया। परीक्षण के बाद उन्होंने बताया कि आपरेशन के दौरान उसका पैर छोटा हो गया है। संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेस लखनऊ की बोन डिन्सीटोमेट्ररी लैब में पूरे शरीर का स्कैन करवाया।
बीमा कंपनी ने किया इन्कार
छह फरवरी 2017 को आई रिपोर्ट में आया कि आपरेशन के दौरान लापरवाही से पैर लगभग एक इंच छोटा हो गया है। सुनवाई के दौरान डा. गोविंद त्रिवेदी ने गलत आपरेशन के आरोप का विरोध किया। कहा कि परिवादी के पहले से ही कई बीमारियों के ग्रसित था। परिवादी को सभी खतरे बताते हुए उसकी सहमति के बाद ही आपरेशन किया गया था। बीमा कंपनी ने कहा कि परिवादी किसी तरह की क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है। आयोग अध्यक्ष विनोद कुमार और सदस्य नीलम यादव ने वादी के पक्ष में फैसला सुनाया।
डा. गोविंद त्रिवेदी का कहना है कि पैर एक सेंटीमीटर छोटा हो गया था। यह सामान्य प्रक्रिया है। आदेश के खिलाफ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में अपील की जाएगी।
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