Lord Vishnu Famous Temples in south India
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान विष्णु, त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश (भगवान शिव) में से एक हैं। साथ ही वह जगत के पालनहार भी कहलाते हैं। भारत में भगवान विष्णु के कई प्रसिद्ध मंदिर स्थापित हैं, जिनके दर्शन करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे में आप दक्षिण भारत में स्थित भगवान विष्णु के इन प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन का भी सौभाग्य जरूर प्राप्त करें। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जगन्नाथ मंदिर के चमत्कार
उड़ीसा के पुरी में स्थित श्रीजगन्नाथ मंदिर, भगवान विष्णु के ऐसे विख्यात मंदिरों में शामिल है, जिसकी मान्यता दूर-दूर तक फैली हुई है। यह मंदिर, विष्णु भगवान के ही एक रूप श्री जगन्नाथ जी को समर्पित है। पुरी मंदिर में होने वाली वार्षिक रथ यात्रा काफी प्रसिद्ध है। भगवान जगन्नाथ के मंदिर में ऐसे कई चमत्कार होते हैं, जो सभी को हैरत में डाल देते हैं।
मंदिर के ध्वज का हवा की विपरीत दिशा में लहराना और कभी भी मंदिर की छाया न दिखना इन्हीं चमत्कारों में से एक है। इसी के साथ मंदिर की रसोई में सात मिट्टी के बर्तनों को एक के ऊपर एक रखकर खाना पकाया जाता है, जिसमें सबसे ऊपर के बर्तन में रखा हुआ खाना सबसे पहले पकता है।
तिरुपति बालाजी से जुड़ी मान्यताएं
तिरुपति बालाजी, भगवान विष्णु के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जो आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमाला की पहाड़ियों पर स्थित है। यहां भगवान विष्णु की पूजा श्री वेंकटेश्वर स्वामी के रूप में का जाती है, इसलिए मंदिर श्रीवेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
इस मंदिर को लेकर लोगों की यह मान्यता है कि कलयुग में भगवान विष्णु इसी स्थान पर निवास करते हैं। इसी के साथ यह भी माना जाता है कि भगवान श्री वेंकटेश्वर की मूर्ति के सिर पर लगे बाल असली है, जो कभी आपस में उलझते नहीं और हमेशा मुलायम बने रहते हैं।
ये है सबसे धनी मंदिर
श्री पद्मनाभस्वामी (Padmanabhaswamy Temple) मंदिर भगवान पद्मनाभस्वामी को समर्पित है, जो भगवान विष्णु के ही अवतार माने गए हैं। यह मंदिर केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित है। पद्मनाभस्वामी का अर्थ है जिनकी नाभि (नभ) में कमल (पद्म) है। दूर-दूर से भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस मंदिर को दुनिया का सबसे धनी मंदिर माना गया है।
गुरुवायुर मंदिर की खासियत
गुरुवायुर मंदिर (Guruvayur Temple History) केरल राज्य के त्रिशूर जिले में स्थित है। इस मंदिर को दक्षिण की द्वारका के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इस मंदिर से भक्तों की अटूट श्रद्धा जुड़ी हुई है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप गुरुवायुरप्पन को समर्पित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, मंदिर का निर्माण देवगुरु बृहस्पति द्वारा किया गया था। इस मंदिर की एक खासियत यह है कि सूर्य की किरणें सबसे पहले भगवान गुरुवायुर के चरणों पर गिरती हैं।
यह भी पढ़ें - Chintaman Temple: चिंतामण गणेश मंदिर में कब की जाती है चोला आरती और क्या है इसका धार्मिक महत्व?
यह भी पढ़ें - Vamana Avatar: क्यों भगवान विष्णु को लेना पड़ा था वामन अवतार? रहस्यमयी है वजह
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है। |