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कानपुर के निलंबित CO पर नया विवाद, पिंटू सेंगर की हत्या से पहले और बाद में संपर्क में थे टायसन और ऋषिकांत शुक्ल

deltin33 2025-11-8 14:07:09 views 933

  



जागरण संवाददाता, कानपुर। चर्चित वकील अखिलेश दुबे के साथ संबंधों और 100 करोड़ की संपत्ति को लेकर विजिलेंस जांच के घेरे में आए निलंबित सीओ ऋषिकांत शुक्ल और बसपा नेता पिंटू सेंगर हत्याकांड के आरोपित मोहम्मद अयाज उर्फ टायसन इन दिनों चर्चा में हैं। इन्हें लेकर अब नया पर्दाफाश हुआ है। पिंटू सेंगर हत्याकांड को लेकर जो चार्जशीट अदालत में दाखिल है, उसमें टायसन की मोबाइल सीडीआर रिपोर्ट भी लगी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इस रिपोर्ट के हिसाब से टायसन और ऋषिकांत शुक्ल दोनों एक दूसरे के संपर्क में थे। हत्या से पहले और बाद में भी दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई, जबकि उस साल 28 जून तक दोनों के बीच 56 बार बातचीत हुई। ऐसे में निलंबित सीओ आने वाले दिनों में एक नए विवाद में फंसते नजर आ रहे है।


की चकेरी 20 जून 2020 को बसपा नेता पिंटू सेंगरकी डिफेंस कालोनी निवासी सपा नेता चंद्रेश सिंह के घर के सामने गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी। पिंटू के भाई धर्मेंद्र सेंगर की ओर से मनोज गुप्ता, पप्पू स्मार्ट, सऊद अख्तर, सऊद के भाई महफूज अख्तर के अलावा इस पंचायत में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे अधिवक्ता दीनू उपाध्याय और अरिदमन सिंह को नामजद किया था। पुलिस ने हत्या के पीछे जमीनी विवाद का दावा करते हुए 15 आरोपितों को जेल भेजा था, जिसमें पप्पू स्मार्ट के भाई कुक्कू की जेल में हार्ट अटैक से मृत्यु हो चुकी है।

  

दो महीने पहले इसी मामले में दीनू उपाध्याय और अरिदमन सिंह को भी गिरफ्तार करके जेल भेजा जा चुका है। बाद में पुलिस ने इस मामले में अहसान कुरैशी, राशिद कालिया, फैसल कुरैशी, सलमान बेग, हैदर, बबलू सुल्तानपुरी को भी आरोपित बनाया। इन्हें शूटर बताया गया। पुलिस का दावा था कि शूटर का इंतजाम टायसन और तनवीर बदशाह ने किया था। जबकि सुपारी के लिए पैसों का इंतजाम नामजद आरोपितों के अलावा बर्खास्त सिपाही श्याम सुशील मिश्र ने किया था।

  


पुलिस ने इस मामले में जो चार्जशीट अदालत में पेश की है, उससे अब एक नया पर्दाफाश हुआ है। दैनिक जागरण के पास जो दस्तावेज मौजूद हैं, उनके मुताबिक टायसन उन दिनों दो मोबाइल नंबरों का प्रयोग करता था। इन मोबाइल नंबरों पर निलंबित सीओ ऋषिकांत शुक्ल से लगातार बातचीत के रिकार्ड मिले हैं। इस रिकार्ड के मुताबिक 24 जनवरी 2020 से 28 जून 2020 तक दोनों के बीच 56 बार बातचीत हुई।

  

कई बार तो लंबी-लंबी वार्ता का रिकार्ड मिला है। एक अपराधी और एक पुलिस अधिकारी के बीच इस कदर बातचीत का रिकार्ड चौकाने वाला है। बड़ी बात यह भी है कि पुलिस ने इस तथ्य को उस वक्त नजरंदाज किया। जब इस संबंध में वर्तमान के पुलिस अधिकारियों से बात करने को कोशिश की गई तो उन्होंने मामला अदालत में विचाराधीन होने की वजह से कोई बयान देने से मना कर दिया। हालांकि जांच का आश्वासन दिया है। वहीं ऋषिकांत शुक्ल से इस संबंध में उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, पर संपर्क नहीं हो सका।
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