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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार से पूर्व कांग्रेसी पार्षद बलवान खोखर की उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें उन्होंने वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में मिली उम्रकैद के दौरान फरलो पर रिहाई की मांग की है। खोखर का आरोप है कि उन्हें 21 दिन की फरलो दी जाए ताकि वे अपने परिवार और समाज से दोबारा सामाजिक संबंध स्थापित कर सकें। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मामले को भी तुरंत सूचीबद्ध कर लिया
न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा ने दिल्ली सरकार और जेल प्रशासन को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई से पहले स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। अब इस मामले की सुनवाई 17 नवंबर को होगी। अदालत ने खोखर की अर्जी पर जल्दी सुनवाई की अनुमति देते हुए मुख्य मामले को भी तुरंत सूचीबद्ध कर लिया।
एक आदेश को दी है चुनौती
खोखर ने जेल प्रशासन के चार सितंबर के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनकी फरलो याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी गई थी कि उनकी रिहाई से जन-शांति और कानून-व्यवस्था पर विपरीत असर पड़ सकता है। फरलो अस्थायी रिहाई होती है, जो लंबी अवधि की सजा काट रहे कैदियों को कुछ समय के लिए सामाजिक रिश्ते पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य से दी जाती है। यह सजा निलंबित करने या माफी देने जैसा नहीं होता।
क्या है पूरा मामला?
बलवान खोखर को वर्ष 2013 में पांच अन्य अभियुक्तों के साथ हत्या और दंगा फैलाने के मामले में दोषी ठहराया गया था। हालांकि, इसी मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार बरी हो गए थे। मामला एक नवंबर 1984 का है, जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद गाजियाबाद के राज नगर में पांच सिखों की हत्या कर दी गई थी और एक गुरुद्वारे को आग लगा दी गई थी। वर्ष 2018 में हाई कोर्ट ने खोखर की सजा को बरकरार रखा था, जबकि सज्जन कुमार की बरी को रद कर दिया था।
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