अपने वोट से ज्यादा प्रतिद्वंदी के बागी के वोट पर आस। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, आरा। विधानसभा चुनाव में मतदान के दौरान निर्दलीय प्रत्याशियों के जीत का दावा सूरज को सिर पर चढ़ने से पहले साफ हो गया। दोपहर 12 बजे तक स्पष्ट हो गया कि चुनावी अखाड़ा में निर्दलीय केवल वोटकटवा के रूप में हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वे किस दल का कितना वोट काटेंगे, उसी पर प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी की जीत होगी। चुनाव के पूर्व सध्या पर निर्दलीय प्रत्याशी जोर शोर से हर मतदान केंद्रों पर जीत का आश्वासन देकर अपने समर्थकों में जान फूंकी थी।
यह सुबह की धूप में गर्मी आने के बाद छट गई। निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थक कार्यकर्ता भी पूरे उत्साह में रात भर मतदाताओं को साधने मेें लगे रहे। मतदान की सुबह में उन्हें सब कुछ साफ दिखने लगा कि अब लड़ाई आमने और सामने की है।
अब दो ही दल के बीच मतदान होना है। यानी हार जीत का फैसला दो के बीच होना है। आम मतदाता भी मतदान केंद्र के बाहर पेड़ के नीचे बैठकर सब कुछ देख रहे थे और अनुमान लगा रहे थे कि लड़ाई मे कौन नायक बनेगा और कौन खलनायक साबित होगा।
एक ओर राजग तो दूसरी ओर महागठबंधन के प्रत्याशी दिख रहे थे। बड़हरा, संदेश और जगदीशपुर विधान सभा में यह तस्वीर साफ दिख रही थी। जहां पर प्रत्याशी अपने जीत का दावा अपने प्रतिद्वंद्वी के वोट काटने के आधार पर कर रहे थे। कौन कितना वोट काटेगा उसी पर दूसरे दल की जीत थी।
अब यह समर्थक मतदाताओं को भी समझ में आ गया। दोपहर के बाद द्वंद्व का धुंध छटने लगा और समर्थक भी निर्दलीय प्रत्याशी को छोड़कर मुख्य धारा की पार्टियों को साथ देने लगे। उन्हें अब अहसास होने लगा कि आखिर निर्दलीय को वोट देने से कोई फायदा नहीं होने वाला है। तब तक काफी देर हो चुकी थी।
संदेश विधान सभा में एक अक्ल आते ही प्रतिद्वंद्वी सावधान होकर एकजुट हो गए। आलम है कि दोपहर के बाद इन क्षेत्रों में तीन से चार प्रतिशत मतदान में तेजी देखी गई। कोईलवर और बड़हरा में देर शाम तक मतदान हुआ। इसका नतीज हुआ कि निर्दलीय प्रत्याशी का वोट दोपहर बाद नहीं के बराबर मिला। |
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