दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर शुक्रवार दोपहर तक अफरा-तफरा का माहौल रहा है, क्योंकि लगातार कई फ्लाइट में देरी होती रही। एविएशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अनुसार, एयर ट्रैफिक कंट्रोल मैसेजिंग सिस्टम में तकनीकी समस्या के कारण अकेले दिल्ली एयरपोर्ट पर 300 से ज्यादा फ्लाइट में देरी हुई। इसके दिल्ली एयरपोर्ट पर AMSS की खराबी का असर मुंबई, जयपुर, लखनऊ, वाराणसी और दूसरे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर पड़ना शुरू हो गया है, क्योंकि दिल्ली से इन हवाई अड्डों के लिए आने वाली उड़ानें देरी से चल रही हैं। अभी तक, AAI ने किसी और हवाई अड्डे पर ऐसी किसी समस्या की पुष्टि नहीं की है।
स्पाइसजेट, इंडिगो और एयर इंडिया जैसी प्रमुख एयरलाइनों ने सुबह यात्रियों को सलाह दी कि वे लेटेस्ट अपडेट देखते रहें और किसी भी कठिनाई की स्थिति में उनके कर्मचारियों से संपर्क करें। दिल्ली एयर पोर्ट ने भी दोपहर लगभग 1:45 बजे एक बयान जारी कर यात्रियों से फ्लाइट के लिए तय किए गए नए शेड्यूल को फॉलो करने की सलाह दी।
अब सवाल है कि आखिर ये AMSS सिस्टम क्या है और इसमें ऐसा क्या हुआ, जो इतनी अफरा-तफरा मची है।
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एयर ट्रैफिक कंट्रोल- ATC क्या है?
AMSS के बारे में जानने से पहले पहले आपको एयर ट्रैफिक कंट्रोल यानी ATC के बारे में जानना चाहिए। ये सिस्टम हवाई जहाजों की आवाजाही को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने वाला सेंट्रल कंट्रोल सिस्टम है। यह हवा और जमीन दोनों पर विमान के रास्ते, ऊंचाई, और समय को मैनेज करता है, ताकि टकराव और दुर्घटना न हो।
ATC में रडार सिस्टम, ट्रांसपोडर्स, मौसम सेंसर, और पायलट और कंट्रोलर के बीच वॉयस और डिजिटल कम्युनिकेशन शामिल होते हैं। यह सिस्टम रियल टाइम में विमान के मूवमेंट पर नजर रखता है और संभावित खतरों की चेतावनी भी देता है। ATC के तीन मुख्य स्तर होते हैं: ग्राउंड कंट्रोल, टावर कंट्रोल और एरिया कंट्रोल, जिनका काम अलग-अलग होता है।
क्या है ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम- AMSS?
AMSS यानी ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम ATC का अहम हिस्सा है। ये एक कंप्यूटर बेस्ड सिस्टम है, जिसक जरिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल जरूरी फ्लाइट प्लान, मौसम की जानकारी और सुरक्षा अलर्ट जैसे मैसेज का तेजी से आदान-प्रदान करती है।
यह सिस्टम IP-बेस्ड (इंटरनेट प्रोटोकॉल) होता है और एयरोनॉटिकल फिक्स्ड टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क (AFTN) से जुड़ा होता है। AMSS मैसेज को प्राथमिकता के आधार पर भेजता है, जिससे जरूरी और आपात संदेशों को पहले ट्रांसमिट किया जाता है। यह एक ऑटोमेटेड वर्कफ्लो सिस्टम है, जो मैसेज को सुरक्षित तरीके से तेज रूटिंग करता है।
AMSS का मुख्य काम एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को जरूरी फ्लाइट प्लान और मौसम संबंधी डेटा उपलब्ध कराना है, जिससे ATC कंट्रोलर विमानों की सुरक्षित और सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकें। AMSS की खराबी होने पर कंट्रोलरों को मैन्युअली काम करना पड़ता है, जिससे फ्लाइट्स में देरी हो जाती है। कुछ ऐसा ही आज भी देखने को मिला।
AMSS में ऐसा क्या हुआ, जो मची अफरा-तफरी?
फिलहाल AAI या अधिकारियों की ओर से ये नहीं बताया गया है कि आखिर AMSS में ऐसी क्या खराबी आई, जो देश के कई बड़े एयर पोर्ट पर ऐसी अफरा-तफरा मच गई, लेकिन CNN-News18 ने सूत्रों के हवाले से बताया यह सिर्फ तकनीकी खराबी नहीं थी। बल्कि, ऑटोमेशन सॉफ्टवेयर में ये किसी वायरस (Malware Attack) की वजह से ओवरलोडिंग के कारण ऐसा हो सकता है।
सूत्रों का कहना है कि एजेंसियां इस बात की जांच कर रही हैं कि क्या यह खराबी ऑटोमेशन सॉफ्टवेयर के कारण हुई है। सूत्र बताते हैं कि सॉफ्टवेयर समस्या का सामना कर रहा था और मैलवेयर के हमले को रोकने की कोशिश कर रहा था। यह हमला सिस्टम के इंटरफेस और रडार के काम करने वाले हिस्सों को भी प्रभावित कर रहा था। इससे सिस्टम बाधित हुआ और एयर ट्रैफिक कंट्रोल ठीक से काम नहीं कर पाया, जिसके कारण उड़ानों में देरी हुई।
सूत्रों के अनुसार, सिस्टम में कुछ अपडेट्स और रियल-टाइम बैकअप की कमी थी। उन्होंने कहा, “यह अभी शुरुआती चरणों में है, लेकिन हम यह जांच रहे हैं कि कैसे एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) सिस्टम पर हमला हुआ।“
सिस्टम में मैसेज का ओवरलोड आया था, जो कि ऑटोमेशन को प्रभावित करता है और कंट्रोलरों को मैनुअल मोड में लौटने पर मजबूर करता है। इससे कई हवाई रूट पर देरी हो गई। जांचकर्ता यह पता लगाने में लगे हैं कि क्या यह हमला सिस्टम इंटरफेस या रडार सिंक्रोनाइजेशन मॉड्यूल की कमजोरियों का फायदा उठाकर किया गया था।
हाल के सॉफ्टवेयर अपडेट न होने और रियल-टाइम बैकअप के अभाव ने स्थिति को और खराब कर दिया। एक साइबर फोरेंसिक अधिकारी ने कहा कि इसका पैटर्न उस डेटा फ्लड या फोर्स्ड लूप स्थिति जैसा है, जो पहले मैलवेयर हमलों में देखा गया था। |