टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। Facebook, Instagram और WhatsApp की पैरेंट कंपनी Meta का विवादों से पुराना नाता है। दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी एक बार फिर विवादों में घिर गई है। समाचार एजेंसी Reuters ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि Meta ने साल 2024 में कथित तौर पर फर्जी या भ्रामक विज्ञापनों के जरिए 16 अरब डॉलर (करीब 1.33 लाख करोड़ रुपये) की कमाई की है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रिपोर्ट के मुताबिक, इन विज्ञापनों में गैरकानूनी जुआ, फर्जी इन्वेस्टमेंट स्कीम, और प्रतिबंधित मेडिकल प्रोडक्ट्स जैसे स्कैम एडवर्टीजमेंट शामिल थे। यानी इन्हें यूजर्स को सीधे धोखा देने के उद्देश्य से बनाया गया था। रिपोर्ट में Meta के आंतरिक दस्तावेजों के हिसाब से अनुमान लगाया गया था कि कंपनी की कुल सालाना कमाई का करीब 10% हिस्सा ऐसे ही स्कैम विज्ञापनों के जरिए आता है।
Meta स्कैम विज्ञापनों को ब्लॉक नहीं करता
Reuters ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि Meta का एल्गोरिदम यह स्कोर करता है कि कोई विज्ञापन धोखाधड़ी वाला है या नहीं। मेटा के एल्गोरिदम को जब तक 95% यकीन नहीं होता कि ऐड फेक है, तब तक उस विज्ञापन को ब्लॉक नहीं करता है। इसके साथ ही कंपनी ऐसे ऐड को अपने प्लेटफॉर्म पर चलने देती है और उस ऐड के लिए ज्यादा शुल्क वसूलती है। इस स्ट्रेटजी के चलते सबसे ज्यादा फायदा मेटा को होता है। कई संदिग्ध विज्ञापनदाता ऐसे ही पैसे देकर फर्जी ऐड चलते रहते हैं।
तीन साल से चल रहा है सिलसिला
रिपोर्ट में कहा गया है कि Meta प्लेटफार्म पर इस तरह के फर्जी और धोखाधड़ी वाले विज्ञापनों की भरमार है। इनमें ऑनलाइन बेटिंग साइट्स और अवैध सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स, फर्जी इन्वेस्टमेंट स्कीम, फेक क्रिप्टो ऐड, प्रतिबंधित मेडिकल प्रोडक्ट्स, और फर्जी ब्रांड प्रोडक्ट के विज्ञापन शामिल है। मेटा पर फर्जी ऐड पिछले 3 साल से चल रहे हैं।
Meta ने किया खंडन
Meta के प्रवक्ता Andy Stone ने Reuters की रिपोर्ट को सलेक्टिव और मिसलीडिंग बताते हुए इसका खंडन किया है। कंपनी ने दावा किया कि उसने पिछले 18 महीनों में उसके प्लेटफॉर्म पर स्कैम ऐड्स को लेकर 58 प्रतिशत तक कम रिपोर्ट्स मिले हैं। इसके साथ ही उसने करीब 134 मिलियन फर्जी विज्ञापन घटाए हैं। Meta का यह भी कहना है कि वह लगातार अपनी ad review systems और transparency tools को बेहतर बनाने पर फोकस कर रहा है। |