मानो या ना मानो में लीड रोल में नजर आएंगे योगेस पगारे (फोटो-एक्स)
प्रियंका सिंह, मुंबई। अच्छी कहानियां दर्शकों तक पहुंचनी चाहिए, यह मानना है मानो या ना मानो : एनीथिंग इज पासिबल फिल्म के निर्देशक और लेखक योगेश पगारे का। हालीवुड फिल्म द मैन फ्राम अर्थ की आधिकारिक हिंदी रीमेक है उनकी फिल्म... विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कहां से आया रीमेक का आइडिया?
योगेश मानते हैं कि कभी कोई कहानी दिल को छू जाए तो उसे दर्शकों के एक बड़े वर्ग तक पहुंचाने का प्रयास होना चाहिए। मूल फिल्म से तुलना के सवाल पर योगेश कहते हैं कि हमने कुछ भी कापी-पेस्ट नहीं किया है। मूल फिल्म कल्ट रही है। हमारे यहां आज भी कई दर्शक हैं, जो अंग्रेजी सिनेमा नहीं देखते हैं। मुझे लगा कि अच्छी कहानियों से उन्हें क्यों वंचित रखा जाए। इसकी रीमेक इसलिए बनाई।
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हमें ट्रोलिंग का डर नहीं- योगेस
निर्देशक ने आगे बताया कि उन्होंने भारतीय मान्यताओं के अनुसार कहानी को ढाला है। उन्होंने कहा, \“हमारे यहां चिरंजीवी शब्द से लोग वाकिफ हैं। ऐसी कहानियां हम सुनते आए हैं कि भगवान हनुमान, अश्वत्थामा चिरंजीवी रहे हैं। ऐसे में यह कहानी, भी एक व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है, जो 14 हजार वर्षों से जिंदा है। हितेन तेजवानी फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं। अगर लोगों को फिल्म पसंद नहीं आएगी, तो ट्रोलिंग होगी। पसंद आएगी, तो वाहवाही होगी। इन चीजों से डरना नहीं चाहिए।
कोविड के बाद बहुत कुछ बदल गया
यह फिल्म साय फाय इंडियन फिल्म्स के यूट्यूब चैनल पर रिलीज होगी। योगेश कहते हैं कि कोविड के बाद बहुत कुछ बदला है। लोग बड़े विजुअल इफेक्ट वाली, एक्शन से भरपूर फिल्में देखने के लिए ही ज्यादातर सिनेमाघर जाना पसंद करते हैं। ऐसा कंटेंट वाला सिनेमा वह डिजिटल प्लेटफार्म पर ही देख लेते हैं। सिनेमाघर के टिकट भी महंगे हैं, वहां स्टार पावर भी होनी चाहिए। हमारी फिल्म सीमित बजट में बनी है। यूट्यूब पर सब्सक्रिप्शन लेकर फिल्म को देखा जा सकता है। यह एक बड़ा प्लेटफार्म बन चुका है, जहां फिल्मों के ट्रेलर से लेकर गाने तक सब रिलीज होते हैं और व्यूज लाखों में जाते हैं।
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