राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत वितरण सुधार योजना के विरोध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रतिवेदन भेजा है। प्रतिवेदन के माध्यम से कहा है कि यह सुधार योजना बिजली कंपनियों के निजीकरण को बढ़ावा देने के साथ ही बिजली दरों में वृद्धि करने की योजना है, जो कि उपभोक्ता विरोधी कदम है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पीएमओ को भेजे गए पत्र में लिखा है कि परिषद के प्रतिवेदन को शुक्रवार को होने वाली मीटिंग में शामिल किया जाए।
बताया है कि मीटिंग में अपर मुख्य सचिव ऊर्जा तथा पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष भी शामिल होंगे। कारपोरेशन प्रबंधन पहले से ही निजीकरण का पक्षधर है तो निजीकरण के पक्ष में ही अपनी बात रखेगा।
पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री को अवगत कराया है कि डा. भीमराव अंबेडकर ने वर्ष 1934 में कहा था कि बिजली हमेशा सार्वजनिक क्षेत्र में रहनी चाहिए और आम जनता को सस्ती दर पर उपलब्ध कराई जानी चाहिए। परिषद का मत है कि बिजली को निजी हाथों में सौंपना जनविरोधी कदम है।
मांग की है कि नई विद्युत वितरण सुधार योजना से बिजली के निजीकरण की शर्त को हटाया जाए। किसी भी योजना को लागू करने से पहले राज्य सरकारें उपभोक्ता संगठनों से जरूर परामर्श लें। |