मुनीर को मिलेंगे असीम अधिकार। फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान में सेना प्रमुख आसिम मुनीर को असीमित अधिकार देने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए शुक्रवार को ऊपरी सदन, सीनेट में 27वां संविधान संशोधन बिल पेश किया जाएगा। तमाम बदलावों के साथ-साथ अनुच्छेद 243 में भी संशोधन होगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसके बाद मुनीर सर्वेसर्वा बन जाएंगे। सरकार को भी कोई फैसला लागू कराने से पहले मुनीर की सहमति लेनी होगी। वह सेना प्रमुख और अन्य कमांडरों की तैनाती कर सकेंगे। उनका कार्यकाल प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की तरह पांच साल का होगा। साथ ही उनको देश की किसी अदालत में चुनौती भी नहीं दी जा सकेगी।
मुनीर को मिलेंगे असीम अधिकार
सीनेट से पास होने के बाद इस बिल को अंतिम रूप देने के लिए नेशनल असेंबली में रखा जाएगा। बता दें कि मुनीर का कार्यकाल अगले साल खत्म हो रहा है, जबकि वह 2028 तक पद पर बने रहना चाहते थे। मुनीर ने खुद को फील्ड मार्शल बनवा लिया था, लेकिन ये केवल औपचारिक पद था। 27वें संशोधन के बाद फील्ड मार्शल का पद संवैधानिक रूप से स्थापित हो जाएगा।
इसके बाद मुनीर को न्यायिक और राजनीतिक, दोनों तरह की चुनौतियों से मुक्ति मिलेगी। संविधान संशोधन के जरिये सेना अधिनियम, 1952 में भी संशोधन किए जाएंगे। इससे ज्वाइंट चीफ्स आफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष का पद समाप्त हो जाएगा।
इस संशोधन से फील्ड मार्शल के अधीन उप-सेना प्रमुख का पद भी सृजित होगा। इसके अलावा, सेना प्रमुखों का कार्यकाल भी पांच वर्ष निर्धारित किया जाएगा।संविधान संशोधन नहीं, ये मुनीर संशोधनराजनीतिक मोर्चे पर लिए गए अपने कई फैसलों के कारण मुनीर पिछले कुछ समय से अपनी स्थिति को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे थे। इस संशोधन के माध्यम से मुनीर बेखौफ फैसले ले सकेंगे। उन्हें संवैधानिक संरक्षण प्राप्त होगा।
सैन्य शासन की ओर पाकिस्तान?
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि निश्चित रूप से यह संशोधन मुनीर के लिए ही किया जा रहा है। उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि पाकिस्तान बाकी दुनिया के लिए एक लोकतंत्र बना रहे, जबकि अंदरखाने वह एक सैन्य शासन में तब्दील हो जाएगा। सेना प्रमुखों की नियुक्ति का अधिकार मुनीर को अपनी पसंद के लोगों को नियुक्त करने का अवसर देगा। सशस्त्र बलों और आइएसआइ पर नियंत्रण पूरे देश पर नियंत्रण रखने के बराबर है।
राजनीतिक अस्थिरता का माहौल
सैन्य तख्तापलट का खेल खत्म हो जाएगा विशेषज्ञों के मुताबिक संशोधन पारित होने के बाद पाकिस्तान में हाइब्रिड शासन लागू हो जाएगा। लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार फील्ड मार्शल के हाथों की महज कठपुतली होगी। इसके अलावा, संसाधनों की खनन परियोजनाओं और बुनियादी निवेशों को भी प्रबंधित करने का अधिकार सेना के पास होगा। सेना का मानना है कि ये महत्वपूर्ण परियोजनाएं हैं क्योंकि इसमें अमेरिका और चीन की कंपनियां शामिल हैं।
विपक्ष का कहना है कि अगर ये संशोधन पारित हुआ तो सरकार फील्ड मार्शल के अधीन हो जाएगी। इससे लोगों के मतदान का कोई मतलब नहीं रह जाएगा क्योंकि मुनीर अगले पांच साल तक सत्ता में मनमानी कर सकेंगे। मुनीर ने इतनी चतुराई से संशोधन कार्ड खेला है कि इससे सैन्य तख्तापलट की जरूरत नहीं रहेगी। सरकार को फैसले लागू कराने से पहले मुनीर की सहमति लेनी होगी।
(न्यूज एजेंसी IANS के इनपुट के साथ) |