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उत्तराखंड में सामने आया Old Age Pension से जुड़ा अजीबो-गरीब मामला, मौत के बाद विभाग वापस मांग रहा पेंशन की रकम

LHC0088 2025-11-6 20:07:04 views 853

  

सूचना आयुक्त ने जताया आश्चर्य, विभागीय अधिकारियों को उच्चस्तरीय दिशा-निर्देश लेने के निर्देश। प्रतीकात्‍मक



जागरण संवाददाता, देहरादून। वृद्धावस्था पेंशन से जुड़ा एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है, जिसमें समाज कल्याण विभाग न सिर्फ मृतक लाभार्थी को दी गई पेंशन राशि वापस मांग रहा है, बल्कि मृत्यु से पहले खाते में जमा रकम की वापसी पर भी अड़ा है। शासनादेश में ऐसी कोई स्पष्ट व्यवस्था न होने के बावजूद विभाग ने अपनी व्याख्या के आधार पर नोटिस जारी कर दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मामला देहरादून के मेहूंवाला माफी निवासी मेहरबान अली से संबंधित है। उनकी मां बतूल बानो को समाज कल्याण विभाग से वृद्धावस्था पेंशन मिलती थी। 24 दिसंबर 2024 को उनकी मृत्यु के बाद, विभाग ने दो किश्तों में 03 हजार की राशि उनके खाते में जारी कर दी थी। मेहरबान अली इस रकम को लौटाने को तैयार थे, मगर जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय ने उनसे यह भी कहा कि खाते में मृत्यु से पहले मौजूद 7500 रुपए भी विभाग को लौटाने होंगे। इस तरह कुल 10,500 रुपए की वापसी का नोटिस जारी कर दिया गया।

विभाग के इस आदेश से असहमत मेहरबान अली ने सूचना का अधिकार (आरटीआइ) के तहत जानकारी मांगी कि किस नियम के तहत मृत्यु से पहले की जमा राशि भी वापस ली जा रही है। तय समय में संतोषजनक जवाब न मिलने पर उन्होंने यह मामला राज्य सूचना आयोग में अपील के रूप में दायर किया।
सुनवाई में उठे सवाल

राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि शासनादेश में यदि कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं है, तो अधिकारी अपनी मनमानी व्याख्या नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि इस तरह की अस्पष्टता नागरिकों के अधिकारों और सूचना की पारदर्शिता दोनों पर सवाल उठाती है। सुनवाई के दौरान जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल ने आयोग को बताया कि 23 नवंबर 2021 के शासनादेश के अनुसार, लाभार्थी की मृत्यु के बाद आगे की पेंशन राशि उसके नामांकित व्यक्ति को नहीं दी जा सकती, बल्कि शेष धनराशि विभाग को लौटाई जानी होती है। हालांकि, मृत्यु से पहले खाते में जमा रकम को लेकर शासनादेश में कोई स्पष्ट दिशा नहीं दी गई है। इस विषय पर निदेशक समाज कल्याण से दिशा-निर्देश मांगे गए हैं।
आयोग ने मांगी स्पष्ट नीति

राज्य सूचना आयुक्त ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की स्थिति में विभागीय भ्रम और अस्पष्टता नागरिकों के अधिकारों का हनन करती है। उन्होंने समाज कल्याण निदेशालय, हल्द्वानी और जिला समाज कल्याण अधिकारी देहरादून को निर्देश दिए हैं कि शासनादेश के इस बिंदु पर उच्चस्तरीय दिशा-निर्देश प्राप्त करें और अपीलकर्ता को उसकी सत्यापित प्रति उपलब्ध कराएं। प्रकरण की अगली सुनवाई 20 नवंबर को निर्धारित की गई है।

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