न ही पूर्व की आप सरकार ने गंभीरता से किया काम और न ही वर्तमान सरकार गंभीर।
वीके शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को प्रदूषण मुक्त करने के सुझाव पर वर्षों बाद भी ठीक से काम नहीं हो पा रहा है, न ही पूर्व की आप सरकार ने इस पर गंभीरता से काम किया और न ही भाजपा की वर्तमान सरकार दिल्ली में इस सुझाव पर ठीक से अमल कर पा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शायद यही कारण है कि दिल्ली में प्रदूषण मुक्त सार्वजनिक परिवहन प्रणाली अभी भी उस हिसाब से बेहतर नहीं हो सकी है जिसकी दिल्ली को अत्यधिक जरूरत है। दरअसल दिल्ली में जब प्रदूषण बढ़ता है, लोगों की सांसों पर संकट आता है तो वायु प्रदूषण से लेकर धूल प्रदूषण रोकने तक की बात भी उठने लगती है। मगर अधिक प्रदूषण वाले ठंड के महीने समाप्त होने के बाद समस्या पर उतना गंभीरता से काम नहीं होता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस पर साल भर काम करने की जरूरत है कि जिससे दिल्ली को प्रदूषण मुक्त किया जा सके। यह स्थिति तब है जब प्रदूषण की समस्या से दिल्ली त्राहि त्राहि कर रही है। अदालतें इसे गैस चैंबर होने का की बात कह चुकी हैं, इस समय लोगों की सांसों पर संकट शुरू हो चुका है और प्रति साल बड़ी संख्या में लोग प्रदूषण की वजह से मौत के शिकार होते हैं।
दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन काे प्रदूषण मुक्त करने की पिछली सरकार और वर्तमान सरकार की तुलना करें तो पूर्व की आप सरकार ने 10 साल में सड़कों पर 1970 इलेक्ट्रिक बसें उतारीं। दरअसल चार साल इन बसों को सड़काें पर लाने की योजना में ही गुजार दिए और वह सरकार इस दौरान यह भी इलेक्ट्रिक बस सड़क पर नहीं उतार सकी।
दिल्ली में चार साल की देरी से इलेक्ट्रिक ईंधन से बसें 2019 में आई शुरू हुई थीं। मगर उसकी गति बेहद धीमी रही। जुलाई 2024 तक इलेक्ट्रिक की कुल 1970 बसें आई थीं। उसके बाद उस सरकार के समय एक भी बस नहीं आ सकी थी। क्योंकि नवंबर 2024 में उस समय के उन परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने पद आैर आप से इस्तीफा दे दिया था जिन्हें उस माहाैल में भी बसें सड़कों पर उतार देने का श्रेय दिया जाता है।
उसके बाद वह सरकार कोई भी बस नहीं उतार सकी थी। हालांकि भाजपा सरकार का दावा है कि आप सरकार के समय से अभी तक 2100 इलेक्ट्रिक बसें केंद्र के सहयोग से आई हैं। इसमें 1700 बसें 12 मीटर वाली और 400 देवी बसें शामिल हैं।
केंद्र की जिस फेम-दो योजना के तहत अभी तक दिल्ली में 2100 बसें आई हैं इसी योजना के तहत दिल्ली के लिए 3200 बसों का टेंडर जारी किया गया है। दिल्ली सरकार का कहना है कि ये बसें अलगे कुछ माह में आनी शुरू होंगी।
इस सब के बीच यह जमीनी हकीकत है कि वर्तमान सरकार अपने समय के टेंडर की एक भी बस अभी तक सड़क पर नहीं ला सकी है। मगर भाजपा सरकार का यह दावा भी महत्वपूर्ण है कि इलेक्ट्रिक बसों के लिए केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी दी जा रही है। उसके तहत ही बसें आई हैं और आगे आएंगी, ऐसे में उनकी केंद्र सरकार के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है।
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