पुलिस उपाधीक्षक ऋषिकांत शुक्ल।  
 
  
 
जागरण संवाददाता, कानपुर। चर्चित पुलिस उपाधीक्षक ऋषिकांत शुक्ल आय से अधिक संपत्ति के मामले में फंस गए हैं। कानपुर पुलिस की एसआइटी जांच में उनके पास लगभग 100 करोड़ रुपये की आकूत और बेनामी संपत्ति होने का दावा किया गया है। जांच में उन पर जेल में बंद अखिलेश दुबे के गिरोह का सहयोग करने जैसा गंभीर आरोप लगाया गया है। इस जांच के शुरू होने के बाद सीओ ऋषिकांत शुक्ल को निलंबन कर दिया गया है। वहीं सीओ ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
ऋषिकांत शुक्ल कानपुर नगर पुलिस में लंबे समय तक तैनात रहे हैं। पुलिस विभाग में आने के बाद अपने शुरुआती दिनों में वह वर्ष 1998 से 2006 तक और प्रभारी निरीक्षक के रूप में दिसम्बर 2006 से वर्ष 2009 तक लगभग 10 वर्ष से अधिक समय तक कानपुर नगर में नियुक्त रहे हैं। पुलिस उपाधीक्षक पद पर प्राेन्नति के बाद भी इन्हें उन्नाव में तैनाती मिली और वर्तमान समय में वह मैनपुरी में तैनात हैं।  
 
 
पिछले दिनों पूर्व पुलिस आयुक्त के निर्देशन में पुलिस ने दुष्कर्म जैसे झूठे मामलों में फंसाकर भाजपा नेता रवि सतीजा को फंसाने के मामले में शहर के चर्चित वकील अखिलेश दुबे को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। इस प्रकरण में एसआइटी जांच चली रही है। एसआइटी जांच में यह दावा किया गया कि अखिलेश दुबे के गिरोह में पुलिस, पत्रकार के साथ-साथ वकील भी शामिल हैं। इसी जांच में सीओ ऋषिकांत शुक्ल का नाम सामने आया था।  
 
दैनिक जागरण को तीन नवंबर का एक पत्र मिला है, जो सचिव जगदीश की ओर से प्रमुख सचिव सतर्कता विभाग को लिखा गया है। पत्र में कहा गया है कि अपर पुलिस महानिदेशक प्रशासन द्वारा पुलिस आयुक्त कानपुर नगर की जांच आख्या के आधार पर सीओ ऋषिकांत शुक्ल के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में सतर्कता जांच शुरू कर कार्रवाई करने को कहा गया।  
 
 
इसी पत्र में कहा गया है कि ऋषिकांत शुक्ल जो वर्तमान में क्षेत्राधिकारी भोगांव, मैनपुरी हैं ने अस्वाभाविक, आय से अत्यधिक आकूत संपत्ति जुटाई है। एसआइटी की जांच के आधार पर सामने आया है कि ऋषिकांत शुक्ल द्वारा स्वयं, अपने परिवारीजन, साथियों व साझेदारों के साथ करीब 100 करोड़ की संपत्ति अर्जित की है। इनमें 12 स्थानों पर उपलब्ध सम्पत्तियों का वर्तमान बाजार मूल्य लगभग 92 करोड़ है। तीन अन्य स्थानों पर उपलब्ध संपत्तियां भी है, लेकिन उनके अभिलेखीय साक्ष्य नहीं हैं।  
 
दावा किया गया है कि गोपनीय सूचनानुसार सभी संपत्तियां ऋषिकांत शुक्ल के पैन से जुड़ी हैं। यह भी जानकारी में आया है कि इनकी 11 दुकानें आर्यनगर में स्थित हैं, जो इनके पड़ोसी साथी देवेन्द्र दुबे के नाम पर हैं।   
 
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