ट्रंप टैरिफ से कैसे बेअसर रहेगी हिमाचल की फार्मा इंडस्ट्री? (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, सोलन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से दवाओं पर टैरिफ लगाने के फैसले का असर हिमाचल प्रदेश की फार्मा इंडस्ट्री, खासकर जेनरिक दवाएं बनाने वाले उद्योगों पर नहीं पड़ेगा। विशेषज्ञों के अनुसार यह टैरिफ मुख्य रूप से ब्रांडेड दवाओं पर लागू किया गया है, जबकि भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाली दवाओं का अधिकांश हिस्सा जेनरिक श्रेणी में आता है। ऐसे में हिमाचल के फार्मा जगत के लिए ट्रंप का टैरिफ प्लान बेअसर सा साबित हुआ है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हिमाचल प्रदेश ड्रग मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश गुप्ता का मानना है कि भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाली लगभग 90 फीसदी दवाएं जेनरिक हैं। इन दवाओं पर फिलहाल किसी भी तरह का टैरिफ लागू नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की ओर से 100 फीसदी टैरिफ लगाने को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।
यदि भविष्य में ऐसा होता भी है तो इसका प्रभाव केवल ब्रांडेड दवाओं पर ही अधिक पड़ेगा। गुप्ता के अनुसार हिमाचल में कुछ उद्योग ऐसे भी हैं जो ब्रांडेड दवाएं तैयार करते हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश कंपनियों के उत्पादन केंद्र अमेरिका में भी मौजूद हैं।
ऐसे में वहां से स्थानीय स्तर पर सप्लाई जारी रहेगी और भारत से आयात पर ज्यादा असर नहीं दिखेगा। उनका मानना है कि करीब 10 फीसदी उद्योग ही इस टैरिफ से प्रभावित होंगे, जबकि शेष 90 फीसदी सुरक्षित रहेंगे।ghaziabad-general,Ghaziabad News,Ghaziabad Latest News,Ghaziabad News in Hindi,Ghaziabad Samachar,Mission Shakti Ghaziabad,Student Principal for a Day,Student Teacher for a Day,Ghaziabad School News,Girl Empowerment Program,Leadership Development Program,Uttar Pradesh news
बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) औद्योगिक क्षेत्र, जिसे देश का फार्मा हब भी कहा जाता है, में लगभग 15 से 20 बड़े उद्योग जेनरिक दवा उत्पादन करते हैं। इन उद्योगों से यह दवाएं अमेरिका के साथ साथ यूरोप, अफ्रीका और एशियाई देशों में भी निर्यात की जाती हैं। यही वजह है कि ट्रंप की नीति से बीबीएन की इंडस्ट्री पर कोई बड़ा खतरा दिखाई नहीं दे रहा है।
उद्योग प्रतिनिधियों का कहना है कि जेनरिक दवाओं की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है, यह दवाएं ब्रांडेड की तुलना में किफायती होती हैं और मरीजों को सस्ती कीमत पर उपचार उपलब्ध करवाती हैं। भारत और विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश का औद्योगिक शहर बददी जेनरिक उत्पादन का प्रमुख केंद्र है।
भारत में तैयार होने वाली कुल दवाओं का लगभग 35 फीसदी हिस्सा हिमाचल प्रदेश से आता है। इनमें से अधिकांश दवाएं ब्रांडेड व जैनरिक का उत्पादन किया जाता है और भारत के खपत के अलावा यह दवाएं निर्यात भी की जाती हैं। हिमाचल से हर साल लगभग 7,000 करोड़ रुपये की दवाओं का निर्यात होता है।
बद्दी और आसपास के क्षेत्र में सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड, रैनबैक्सी, टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स, सिपला, इंडोको फार्मा, ब्रूक्स लैबोरेटरीज, डॉ. रेड्डीज़, ल्यूपिन और जाइडस लाइफसाइंसेज जैसे बड़े उद्योग हिमाचल के बद्दी व नालागढ़ में जैनरिक दवाओं का उत्पादन कर रहे हैं।
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