जागरण संवाददाता, मेरठ। साकेत के सनव्यू अपार्टमेंट में सीढ़ियों पर पहुंचे घायल बंदर की घुड़की से लोग 11 घंटे तक दशहत में रहे, लेकिन वन विभाग और नगर निगम का नकारापन भी सामने आ गया। शुक्रवार सुबह अपार्टमेंट में उस समय अफरातफरी मच गई जब सीढ़ियों पर एक घायल बंदर पहुंच गया। बच्चे डर से घरों में घुस गए। बड़े भी दहशत में आ गए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लोगों ने पहले वन विभाग को और फिर नगर निगम को फोन किया, लेकिन दोनों ने बंदर पकड़ने से साफ इन्कार कर दिया। वन विभाग ने तर्क दिया कि बंदर वन्य जीव नहीं है, हम नहीं पकड़ सकते। नगर निगम ने भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। लोगों ने प्राइवेट टीम बुलाकर बंदकर को पकड़वाया।
लोगों का कहना था कि यह तो बंदर था, यहां तेंदुआ आ गया होता तो क्या होता? यहां 35 परिवार रहते हैं। इनमें 20 से अधिक बच्चे हैं। शुक्रवार सुबह नौ बजे एक बंदर अपार्टमेंट की सीढ़ियों पर बैठ गया। इससे लोगों के आने-जाने का रास्ता रुक गया।
स्थानीय विकास शर्मा ने बताया कि उन्होंने डीएफओ वंदना फोगाट को फोन किया, लेकिन मदद से इन्कार कर दिया। नगर निगम को फोन किया तो यहां भी मना कर दिया गया। पूरे दिन परिवार दहशत में रहे, लेकिन अधिकारी पल्ला झाड़ते रहे।
रात करीब आठ बजे डीएम के आदेश पर नगर निगम की टीम पहुंची, लेकिन तक तक कालोनी के लोगों ने तेजेन्द्र सिह की टीम को बुलाकर बंदर पकड़वा लिया था। टीम उसे पशु अस्पताल ले गई। लोगों ने बताया कि बंदर घायल था। वह एक कोने में बैठ गया, लेकिन जब भी उसके पास कोई जाता तो वह काटने के लिए दौड़ता।
लोगों का कहना था जब वन विभाग, नगर निगम के अधिकारी बंदर पकड़ने में इस तरह की लापरवाही दिखा रहे हैं तो अगर तेंदुआ घुस गया तो क्या होगा?
प्रभागीय निदेशक वानिकी वंदना फोगाट का कहना है कि बंदर पकड़ने का काम वन विभाग का नहीं है। यह वन्य जीव नहीं है। वन्य जीव होता तो हम कार्रवाई करते।
नगर आयुक्त सौरभ गंगवार का कहना है कि बंदर पकड़ने के लिए अभी निगम के पास संसाधन नहीं हैं। घायल बंदर के इलाज का काम पशु चिकित्सा विभाग का है।
डीएम डा. वीके सिंह का कहना है कि नगर निगम व वन विभाग की टीम को भेजा गया। उससे पहले ही निजी टीम ने बंदर को पकड़ लिया था। दोनों विभागों के साथ शीघ्र बैठक होगी, ताकि भविष्य में इस तरह का प्रकरण आए तो तत्काल कार्रवाई हो सके। |