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सपा की 2027 की रणनीति तैयार! SIR सूची, पीडीए समीकरण, फर्जी वोटिंग और गुटबंदी पर रहेगा फोकस

deltin33 2025-10-20 05:35:55 views 862

  

प्रतीकात्मक तस्वीर।



हसीन शाह, गाजियाबाद। वर्ष 2027 में होने वाली सत्ता की महाभारत के लिए सपा ने विभिन्न मुद्दों को प्रमुखता से उठाने की सूची तैयार कर ली है। इनमें एक एक प्रमुख मुद्दा मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) भी रहेगा। एसआइआर के मुद्दे काे उठाने के लिए बूथ लेवल पर तैयारी चल रही है। वहीं, सपा जिले में ने पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (पीडीए) की नाव पर बैठकर चुनावी समुंदर को पार करने की रणनीति बना रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

वर्ष 2017 में सत्ता से हाथ धोने और वर्ष 2022 में सत्ता पाने में नाकाम रहने वाली सपा ने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पीडीए का समीकरण का दाव चला था। जिससे सपा को प्रदेश में बाद 37 लोकसभा सीट मिली। सपा इस सफलता की पीछे पीडीए के समीकरण को मानती है।

वर्ष 2027 के विधान सभा चुनाव में सपा पीडीए के प्रयोग को आगे बढ़ाना चाहती। सपा पिछड़े और अनुसूचित जाति के चेहरों को प्रमुखता देकर पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। सपा भाजपा को चुनौती देने के लिए राष्ट्रवाद के मुद्दे को भी जोरों से उठा सकती है।

रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ एसआइआर के मुद्दे को उठाने के लिए कार्यकर्ताओं की फौज तैयार हो रही है। सपा स्कूलों के विलय के मुद्दे पर माहौल बनाने की कोशिश भी करेगी। सपा के जिलाध्यक्ष फैसल हुसैन ने बताया कि एसआइआर के लिए आठ दस्तावेज हैं।

यदि किसी का वोट कटता है तो वह उसे बड़े स्तर पर उठाएंगे। फर्जी वोटों को हटवाया जाएगा। जानबूझकर भाजपा एसआइआर के जरिये पीडीए की वोट को कटवा सकती है। आला कमान के निर्देश पर वह एसआइआर के मुद्दे गली-गली और घर-घर तक पहुंचाने की तैयारी में जुए गए हैं।
जातीय समीकरण भी साधेगी सपा

आगामी विधानसभा भाजपा जिन लोगों को टिकट देगी उन पर सपा की नजर रहेगी। सपा भी भाजपा प्रत्याशी के चेहरों को देखकर गोलबंदी करने करने की तैयारी कर रही है। सपा जातीय समीकरणों को भी साधेगी। माना जा रहा है कि सपा में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की लाइन लंबी लगेगी। ऐसे में सपा साफ छवि वाले लोगों को टिकट देने की योजना बना रही। पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रत्याशी बनाने से पहले उनके छवि और जातीय समीकरण का ध्यान रखा जाएगा।
सपा ने गुटबंदी पर पाया काबू

कुछ दिन पहले जिले में सपा में गुटबंदी चरम पर पहुंच गई थी। जिस तरह से सपा ने गुटबंदी करने वालों पर कार्रवाई की है उससे उन लोगों को भी संदेश मिल गया है जो चोरी-छुपे गुटबंदी कर रहे थे। यही वजह है कि पार्टी की गुटबंदी अभी तक के लिए थम गई। जो लोग पार्टी से निकाले गए हैं वह पार्टी के बहुत पुराने कार्यकर्ता रहें।

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