लखनऊ: वेतन कटौती के खिलाफ इलेक्ट्रिक बस ड्राइवरों का प्रदर्शन, संचालन ठप
संवाद सूत्र, काकोरी। राजधानी में गुरुवार दोपहर तक अधिकांश इलेक्ट्रिकसिटी बसों का संचालन ठप रहा। त्योहार के समय बसों के ड्राइवर धरने पर बैठे हैं। उनका आरोप है कि पहली अक्टूबर से कंपनी को बदलने से उनका वेतन भी घट गया है। ड्राइवरों को मनाने सिटीट्रांसपोर्ट के प्रबंध निदेशक आरके त्रिपाठी पहुंचे लेकिन, वह नहीं माने। निजी कंपनी ने कानपुर से 15 ड्राइवर बुलाकर दोपहर में बसों का संचालन सामान्य कराया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दुबग्गा मछली मंडी स्थित इलेक्ट्रिक बस डिपो के ड्राइवरों ने गुरुवार को मांगों को लेकर धरना दिया। ड्राइवरों ने कि बताया कि पहले ए-वोल्ट कंपनी के अधीन काम कर रहे ड्राइवरों को अचानक हंसा प्राइवेट लिमिटेड के अधीन कर दिया गया। साथ ही पहले जो वेतन 13,547 था उसे घटाकर 7000 रुपये कर दिया। मुख्यमंत्री का आदेश है कि बेसिक सैलरी 18600 दी जाए फिर भी नहीं मिल रही। शहर में 115 इलेक्ट्रिक व 20 सीएनजी बसें हैं। दोपहर तक 40 इलेक्ट्रिक व 20 सीएनजी बसें चल पाई।
नाराज सैकड़ों ड्राइवरों ने बसों का संचालन बंद करके अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हुए धरने पर बैठ गए। ड्राइवर राम सजीवन यादव, राम धार, अंकित गुप्ता, दीपक सिंह सहित अन्य ने बताया, दुबग्गाइलेक्ट्रिक बस डिपो लखनऊ से प्रयागराज कुंभ जाने के लिए शटल बस सेवा चलाई गई थी, जिसमें मुख्यमंत्री के आदेश पर 10 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि मिलनी थी, जो नहीं मिली।
ऐसे ही बोनस और एरियर का भुगतान, सालाना वेतन वृद्धि की स्पष्ट नीति नहीं है। उन्होंने मांग की कि वेतन देने की तारीख तय की जाए, ओवरटाइम और एक्स्ट्राड्यूटी का पूरा ब्योरा सार्वजनिक किया जाए। डिपो में खराब गाड़ी मिलने की स्थिति में ड्राइवर की ड्यूटी मानी जाए। कम इनकम या वाहन निरस्त होने की स्थिति में दूसरी शिफ्ट में ड्यूटी दी जाए
नई कंपनी द्वारा ड्रेस, जूते, आइकार्ड, फर्स्टएडकिट उपलब्ध कराए। यदि टेक्निकल टीम की ओके रिपोर्ट पर गाड़ी सड़क पर जाती है और दुर्घटना होती है तो ड्राइवर से कोई रिकवरी नहीं की जाए। एमडी ने ड्राइवरों से कहा, दीपावली के बाद सभी समस्याओं का निस्तारण करा दिया जाएगा, लेकिन ड्राइवरों ने इसे मनाने से इनकार कर दिया। |