तेजस्वी यादव, राहुल गांधी और मुकेश सहनी।
विनोद राव, बगहा। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी की नजरें बगहा, वाल्मीकिनगर और रामनगर सीट पर टिकी हैं। इनमें बगहा सीट को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। चर्चा है कि इस बार बगहा सीट आइएनडीए के सहयोगी दल विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के खाते में जा सकती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
राजनीतिक सूत्रों की मानें तो लगभग सब कुछ तय हो चुका है और इसकी आधिकारिक घोषणा की जा सकती है।
बगहा सीट पर 33 वर्षों तक कांग्रेस का प्रभाव रहा है। वर्ष 2015 व 2020 के विधानसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के हिस्से में आई थी। हालांकि, बिना किसी बड़े नेता की जनसभा के बावजूद कांग्रेस का मुकाबला सीधे तौर पर भाजपा से था और कांग्रेस उम्मीदवार जयेश ने दूसरा स्थान हासिल किया था।
अब जब यह सीट वीआईपी के खाते में जाती दिख रही है तो कांग्रेस के भीतर असंतोष उभरने लगा है। विशेषकर पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस उम्मीदवार और उनके समर्थकों में बेचैनी देखी जा रही है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यदि कांग्रेस को यह सीट नहीं मिलती है तो उनके मजबूत दावेदार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ सकते हैं। इस स्थिति ने महागठबंधन के भीतर समन्वय और सीट बंटवारे को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वहीं, वीआईपी की संभावित एंट्री से बगहा सीट पर मुकाबला और रोचक हो सकता है। अब सभी की नजरें टिकट घोषणा पर टिकी हैं, जिससे स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
टिकट के इंतजार में नहीं कर रहे नामांकन
जदयू ने मंगलवार को अपनी पहली प्रत्याशी सूची जारी की, लेकिन इसमें वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र का नाम शामिल नहीं किया गया है। इससे क्षेत्र के संभावित प्रत्याशियों में बताया जा रहा है कि पार्टी बुधवार को अपनी दूसरी सूची जारी कर सकती है, जिसमें इस सीट को शामिल किए जाने की संभावना है।
पार्टी का टिकट अब तक नहीं मिलने के कारण कई दावेदारों ने अभी तक नामांकन नहीं किया है। वे इंतजार कर रहे हैं कि जैसे ही उन्हें टिकट मिलेगा, वे अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देकर नामांकन प्रक्रिया में भाग लेंगे।
वहीं, प्रत्याशियों के बीच यह भी असमंजस था कि दीपावली के दिन नामांकन होगा या नहीं। अब यह स्पष्ट हो गया है कि दीपावली के दिन भी नामांकन की प्रक्रिया जारी रहेगी, जिससे उम्मीदवारों को राहत मिली है।
टिकट वितरण में देरी के चलते पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक भी असमंजस में हैं। अब सभी की निगाहें जदयू की दूसरी सूची पर टिकी हैं, जो चुनावी रणनीति को और स्पष्ट करेगी। |