LHC0088                                        • 2025-10-15 09:36:19                                                                                        •                views 731                    
                                                                    
  
                                
 
  
 
    
 
  
 
विधि संवाददाता, प्रयागराज।  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने महाकुंभ 2025 के दौरान जनवरी में मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर मची भगदड़ में श्रद्धालु की मृत्यु पर मुआवजा भुगतान के संबंध में कानून के अनुरूप निर्णय लेने का निर्देश मेला अधिकारी को दिया है। कहा है कि आदेश की प्रति 13 नवंबर को अगली सुनवाई पर पेश की जाए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार एवं न्यायमूर्ति स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने रामकली बाई की याचिका पर दिया है। याची की ओर से अधिवक्ता अरुण यादव और राज्य सरकार के लिए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एके गोयल ने पक्ष रखा।  
 
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की निवासी याची के पति मोहनलाल अहिरवार की मृत्यु मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर मेला क्षेत्र में मची भगदड़ में हुई थी। सरकार ने मृतक के परिवार के लिए मुआवजे की घोषणा की थी, किंतु याची को भुगतान नहीं किया गया।  
 
कोर्ट को बताया गया कि इस न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही याची को उसके पति का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया गया है और अब उसके पास पति के शव का पंचनामा भी है, फिर भी उसे कोई मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया है।  
 
अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याची को गत 22 सितंबर को नोटिस जारी कर 13 अक्टूबर को मेला अधिकारी महाकुंभ मेला प्रयागराज के समक्ष अपने दावे के समर्थन में उसके पास मौजूद सभी सामग्री के साथ उपस्थित होने के लिए कहा गया था। उसके दावे का आवेदन मेला अधिकारी के समक्ष विचाराधीन है।  
 
याची के वकीलों ने कहा कि सुनवाई के एक दिन पहले तक याची को किसी नोटिस की जानकारी नहीं थी। इस पर कोर्ट ने अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एके गोयल से नोटिस की कापी याची के अधिवक्ता अरुण यादव को सुनवाई के दौरान ही दिलाई।  
 
साथ ही निर्देश दिया कि नोटिस के जवाब में याची अपने पति की महाकुंभ 2025 में मौनी अमावस्या स्नान पर्व के दौरान हुई आकस्मिक मृत्यु के संबंध में उपलब्ध सभी सामग्री के साथ 30 अक्टूबर को मेला अधिकारी के समक्ष उपस्थित हो।  
 
उपस्थित होने पर मेला अधिकारी कानून के अनुसार याची के लंबित आवेदन का निपटारा करते हुए सकारण और तर्कपूर्ण आदेश पारित करें। |   
                
                                                    
                                                                
        
 
    
                                     
 
 
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