टिकट वितरण को लेकर उभरे अंदरूनी मतभेद
संवाद सूत्र, इस्लामपुर(नालंदा)। विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक हलचल चरम पर पहुंच गई है। राजधानी से लेकर प्रखंड स्तर तक संभावित प्रत्याशी और उनके समर्थक रणनीति बनाने में जुटे हैं। चौक-चौराहों और चाय की दुकानों से लेकर पान की गुमटियों तक लोग अपनी-अपनी रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लोग कहते हैं, कि इस बार तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के उम्मीदवार की जीत तय है, वहीं एनडीए समर्थक मानते हैं कि गठबंधन का जो भी प्रत्याशी होगा उसकी जीत सुनिश्चित है। फर्क केवल इतना है कि सही उम्मीदवार चयन से जीत-हार के अंतर में बड़ा फर्क पड़ सकता है।
जन सुराज में टिकट को लेकर स्थिति तनावपूर्ण है। वर्तमान में आधा दर्जन गंभीर दावेदार लाइन में हैं। सूत्रों के अनुसार, जिस किसी को टिकट मिलेगा, बाकी पांच या तो पार्टी छोड़ देंगे या निष्क्रिय होकर घर बैठेंगे। इस वजह से पार्टी के भीतर असंतोष और विभाजन के संकेत स्पष्ट हैं।
राजद में भी टिकट वितरण विवादित है। वर्तमान विधायक को दोबारा टिकट दिए जाने पर एक दर्जन से अधिक प्रमुख नेता और कार्यकर्ता खुलेआम विरोध कर सकते हैं। वहीं कई लोग पार्टी कार्यक्रमों में शामिल होकर भीतरघात की रणनीति भी अपना सकते हैं।
जदयू में अब तक 50 से अधिक पर्ची जमा हो चुकी हैं। इनमें लगभग एक दर्जन गंभीर उम्मीदवार हैं, जिनमें दो–तीन अति गंभीर माने जा रहे हैं। पार्टी में तीन गुट बन चुके हैं।
पूर्व विधायक का गुट, जो संगठन में अपनी पुरानी पकड़ और अनुभव के बल पर टिकट की मांग कर रहा है। पूर्व विधायक के पुत्र का गुट, जो युवा नेतृत्व और नई ऊर्जा के नाम पर सक्रिय है। चार संभावित प्रत्याशियों का गुट (दो एकंगरसराय और दो इस्लामपुर), जो एकजुट होकर वरिष्ठ नेताओं से मिल रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि वे पार्टी की स्थापना काल से जुड़े हैं।
राजनीतिक चर्चा है, कि अगर जदयू नेतृत्व एकंगरसराय प्रखंड से उम्मीदवार चयन को प्राथमिकता देगा, तो चार प्रमुख दावेदार गंभीर माने जा रहे हैं एक पूर्व सांसद का पुत्र, पूर्व विधायक, पूर्व विधायक का पुत्र, सहकारिता संस्था के अध्यक्षइस अकेलावा, जदयू में प्रदेश स्तर के पदाधिकारी को भरोसा है कि उनके पार्टी के सभी नेताओं के साथ मधुर संबंध इस बार उनके टिकट के मार्ग में सहायक होंगे।
राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि क्योंकि नालंदा के सांसद का गृह प्रखंड इस्लामपुर है, इसलिए विधानसभा का उम्मीदवार चाहे जो भी हो, एकंगरसराय प्रखंड का होना लगभग तय माना जाता है। राजनीतिक इतिहास इसे प्रमाणित करता है कि 2006 के उपचुनाव को छोड़कर, लगभग सभी समय में समता पार्टी या जदयू के उम्मीदवार इसी प्रखंड से ही रहे हैं। |