झामुमो की रणनीति, हर हाल में बिहार में राजद तथा गठबंधन के अन्य दलों के साथ तालमेल हो। (फाइल फोटो)  
 
  
 
  
 
राज्य ब्यूरो, रांची। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने अपनी रणनीति को और मजबूत करते हुए महागठबंधन के तहत सीट बंटवारे पर निर्णायक बातचीत की तैयारी शुरू कर दी है।  
 
झामुमो के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय और नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सात अक्टूबर को पटना में होने वाली महागठबंधन की बैठक में हिस्सा लेंगे।  
 
यह बैठक सीट बंटवारे और गठबंधन की रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए अहम मानी जा रही है। झामुमो अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने स्पष्ट निर्देश दिए है कि गठबंधन की एकता को प्राथमिकता दें।   
 
  
 
साथ ही  बिहार में पार्टी का संगठनात्मक विस्तार भी सुनिश्चित किया जाए। झामुमो की रणनीति बिहार-झारखंड की सीमावर्ती सीटों पर केंद्रित है, जहां पार्टी का सामाजिक और राजनीतिक आधार मजबूत है।  
 
पार्टी ने किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर, बांका और जमुई जैसे जिलों की करीब 12 से 15 सीटों पर दावेदारी पेश करने की योजना बनाई है।  
झामुमो का लक्ष्य महागठबंधन को मजबूत करना  
 
इन क्षेत्रों में आदिवासी और पिछड़े वर्ग की आबादी झामुमो का पारंपरिक वोट बैंक मानी जाती है। विनोद पांडेय ने कहा कि झामुमो का लक्ष्य महागठबंधन को मजबूत करना और बिहार में अपनी संगठनात्मक उपस्थिति को और सशक्त करना है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
  
 
उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी गठबंधन धर्म का पूरी तरह पालन करेगी और सहयोगी दलों राजद, कांग्रेस और वाम दलों के साथ तालमेल बनाए रखेगी।  
झामुमो का लक्ष्य, गठबंधन की एकता पर कोई आंच न आए  
 
पटना में होने वाली बैठक में सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला होने की उम्मीद है। झामुमो ने स्पष्ट किया है कि वह उन सीटों पर प्राथमिकता चाहता है, जहां उसका जनाधार मजबूत है। साथ ही, पार्टी ने यह भी सुनिश्चित किया है कि गठबंधन की एकता पर कोई आंच न आए।  
 
  
 
विनोद पांडेय ने कहा कि बिहार में भाजपा-जदयू गठजोड़ को हराने के लिए महागठबंधन की एकजुटता हमारा सबसे बड़ा हथियार है। इसके लिए झामुमो ने प्रत्याशी चयन में पारदर्शिता और स्थानीय नेताओं की राय को महत्व देने का फैसला किया है।  
तालमेल का नैतिक दबाव राजद पर  
 
बिहार में झामुमो के साथ तालमेल का राजद पर नैतिक दबाव भी है, क्योंकि झारखंड में वह झामुमो के साथ गठबंधन में है। ऐसे में बिहार में सीटों के तालमेल को लेकर राजद के शीर्ष नेतृत्व पर बड़ा दारोमदार है।  
 
  
 
झामुमो की रणनीति न केवल बिहार में अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने की है, बल्कि गठबंधन की जीत को सुनिश्चित करने की भी है। इस बैठक के बाद महागठबंधन की रणनीति और सीटों का बंटवारा स्पष्ट होने की उम्मीद है। |   
                
                                                    
                                                                
        
 
    
                                     
 
 
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