रालोद के मुखिया हैं जयंत चौधरी। जागरण  
 
  
 
  
 
जागरण संवाददाता, गजरौला। रालोद (राष्ट्रीय लोकदल) का न सिर्फ रूतबा कम हुआ बल्कि कुनबा भी घटा है। इसकी मुख्य वजह यह है कि रालोद की राजनीति करने वाले लोगों की उम्मीदें टूटी हैं। भाजपा से गठबंधन के बाद भी उन्हें बहुत ज्यादा यह अहसास नहीं होता है कि वह सत्तारूढ़ पार्टी के सहयोगी हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
ऐसे में अब दल के मुखिया का अंदाज भी कुछ बदला हुआ नजर आ रहा है। क्योंकि 2027 का विधानसभा चुनाव भी नजदीक है। इन्हीं सरगर्मियों के बीच में जयंत चौधरी 12 अक्टूबर को रजबपुर पहुंच रहे हैं। उन्हीं के रूख से जिले में रालोद का भविष्य तय माना जाएगा। इसलिए इस सभा में भारी संख्या में लोगों को जुटाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा है।  
 
  
पश्चिमी यूपी में फिर धाक जमाने के लिए संघर्ष कर राष्ट्रीय लोकदल  
  
 - एक दौर था जब, रालोद के जनाधार के साथ-साथ विधायक-सांसद भी काफी हुआ करते थे। 
 
  - वर्ष 2009 में रालाेद के सिंबल पर देवेंद्र नागपाल अमरोहा से सांसद भी बने थे। लेकिन, बीच में स्थिति गड़बड़ाईं और ग्राफ गिरता चला गया। 
 
  - 2017 में रालाेद ने अकेले विधानसभा का चुनाव लड़ा मगर, कोई जीत नहीं मिली। 
 
  - 2019 के चुनाव में सपा-बसपा के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरे रालोद के खाते में कोई सीट नहीं आई थी। जबकि यहां से कई लोग चुनावी तैयारियों में जुटे हुए थे। 
 
  - वर्ष 2024 में भाजपा से गठबंधन किया। उस समय पर भी जिले में रालोद को कोई सीट न मिलने से मायूसी छाई रही। 
 
    
12 को पहुंचेंगे रालाेद अध्यक्ष  
 
अब एक बार फिर 2027 का विधानसभा चुनाव आ रहा है। लेकिन, इस बार रालोद का रूख काफी जुदा है। यही वजह है कि केंद्र सरकार में मंत्री की बागडोर संभालने वाले रालोद के मुखिया जयंत चौधरी अपने पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ धरातल पर पहुंचने लगे हैं।  
 
  
 
राजनीति के जानकारों की बात मानें तो इस बार के विधानसभा चुनाव में रालोद कुछ अलग करने की तैयारी में भी है। अगर, उन्हें उम्मीद के हिसाब से सीटों पर हक नहीं मिली तो कुछ नया गुल भी खिलाया जा सकता है।  
विधानसभा में कोई भी पार्टी रालोद के बिना सरकार नहीं बना पाएगी  
 
इसलिए जनसभाओं का दौर शुरू हो गया है। हाल ही में गजरौला में आयोजित हुई विचार गोष्ठी में संगठन महासचिव त्रिलोकचंद्र त्यागी ने साफ कहा था कि विधानसभा में कोई भी पार्टी रालोद के बिना सरकार नहीं बना पाएगी। उनके इस संबोधन से कई संदेश गए थे। बार-बार रालोद को सीट न मिलने की वजह से अमरोहा जिले में रालोद के लोगों ने उपेक्षा का शिकार होने का दुखड़ा भी रोया था।  
 
  
 
इसलिए अब संगठन कुछ बदलाव की तरफ है। नेता जयंत भी कुछ बदले हुए मिजाज में हैं। इसी माहौल के बीच 12 अक्टूबर को रजबपुर में होने वाली जयंत चौधरी की सभा भी रालोद के भविष्य की आधारशिला रखेगी।  
 
  
नौगावां सादात और मंडी धनौरा विधानसभा पर रालोद की नजर  
 
गजरौला। अमरोहा जिले की नौगावां सादात और मंडी धनौरा विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय लोकदल की नजर है। पिछले चुनाव में भी इन्हीं दोनों सीटों की मांग रालोद ने बसपा-सपा गठबंधन के दौरान की थी मगर, नहीं मिली थी। अब भाजपा से गठबंधन है तो फिर दोनों सीटों के लिए रालोद मांग उठाएगा। मंडी धनौरा विधानसभा आरक्षित है, जहां से भाजपा के राजीव तरारा विधायक हैं और नौगावां सादात से सपा के समरपाल सिंह विधायक हैं।  
 
  
 
   
  
12 अक्टूबर को जयंत चौधरी रजबपुर के नेहरू स्मारक इंटर कॉलेज के मैदान में आयोजित जनसभा को संबोधित करेंगे। उसके लिए तैयारियां चल रही हैं। गांव-गांव जनसंपर्क किया जा रहा है। जिले की नौगावां सादात और मंडी धनौरा विधानसभा की सीट रालोद के खाते में जाएं, इसके लिए क्षेत्र के लोग मांग भी कर रहे हैं। सचिन चौधरी, रालोद जिलाध्यक्ष, अमराेहा।   |