Great Nicobar Project: केंद्र सरकार ने भारत के सबसे दक्षिणी छोर पर \“ग्रेट निकोबार इंटरनेशनल एयरपोर्ट\“ के काम को तेज कर दिया है। यह एयरपोर्ट केवल आम नागरिकों के लिए नहीं, बल्कि भारतीय सेना के लिए भी एक बेहद महत्वपूर्ण रणनीतिक ठिकाना होगा। जानकारी के मुताबिक, सरकार ने इसके विकास के लिए कंसल्टेंट्स को आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
नौसेना और नागरिक दोनों करेंगे इस्तेमाल
इस प्रोजेक्ट को \“डुअल-यूज\“ मॉडल पर तैयार किया जा रहा है, जिसका मतलब है कि इसका इस्तेमाल सैन्य और नागरिक दोनों उद्देश्यों के लिए होगा। रनवे और एयर ट्रैफिक सेवाओं का नियंत्रण भारतीय नौसेना के पास होगा। वहीं एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) पैसेंजर टर्मिनल और नागरिक बुनियादी ढांचे का प्रबंधन करेगी। यह एयरपोर्ट दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री व्यापार मार्ग \“सिक्स डिग्री चैनल\“ के पास स्थित है, जिससे भारत की निगरानी क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
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क्यों महत्वपूर्ण है यह लोकेशन?
ग्रेट निकोबार द्वीप का स्थान सामरिक दृष्टि से \“काफी अहम\“ माना जा रहा है। अभी सबसे करीबी एयरपोर्ट पोर्ट ब्लेयर में है, जो यहां से 500 किमी दूर है। नया एयरपोर्ट सैन्य विमानों के रिस्पांस टाइम को काफी कम कर देगा। यहां से इंडोनेशिया का सुमात्रा केवल 180 किमी दूर है, जबकि भारतीय मुख्य भूमि 1500 किमी से अधिक दूर है। फुकेट और लांगकावी जैसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल यहां से 500 किमी के दायरे में हैं, जिससे भविष्य में यह बड़ा टूरिस्ट हब बन सकता है।
सरकार ने तैयार किया है 2075 तक का मास्टर प्लान
सरकार ने इस प्रोजेक्ट को आने वाले 50 सालों की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया है। अनुमान है कि 2040 तक यहां की आबादी 3.25 लाख हो जाएगी, जिससे हर साल लगभग 1.35 मिलियन यात्रियों की आवाजाही होगी। प्रोजेक्ट का मास्टर प्लान साल 2075 तक के लिए तैयार किया गया है, जिसमें रनवे और टैक्सीवे के चरणबद्ध विस्तार का प्रावधान है। यह स्थल \“ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिजर्व\“ का हिस्सा है, इसलिए उड़ान मार्गों को इस तरह प्लान किया गया है कि वे आबादी वाले क्षेत्रों और संवेदनशील इलाकों के ऊपर से न गुजरें।
आर्थिक और सामरिक मजबूती
अधिकारियों के अनुसार, यह एयरपोर्ट भारत की समुद्री सुरक्षा को अभेद्य बनाने के साथ-साथ देश के सबसे दक्षिणी मोर्चे पर आर्थिक गतिविधियों और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा। यह ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट 2030 के शुरुआती वर्षों तक पूरी तरह सक्रिय होने की उम्मीद है। |