प्रयागराज के बारा इलाके में गोशाला के पास खनन का पट्टा होने से मवेशियों की जान को खतरा है।
प्रयागराज/बारा। खनन विभाग की ओर से बारा तहसील के परवेजाबाद गांव में सिलिका सैंड के लिए खोने वाले खनन का पट्टा आवंटित किया है। जब से पट्टे की जानकारी हुई है, तब से स्थानीय प्रधान व लोग चिंतित हैं। कारण, पट्टे वाले खंड के ठीक बगल में धरा ग्राम पंचायत की गोशाला है। खनन के दौरान होने वाले धमाकों से इनकी जान भी खतरे में पड़ सकती है। फिलहाल, प्रशासन इसे लेकर अनजान है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बारा के धरा ग्राम पंचायत में स्थित है गोशाला
बारा के धरा ग्राम पंचायत में वर्ष 2019 में गोशाला बनवाई गई थी। इसकी क्षमता 150 मवेशियों को रखने की है, लेकिन मौजूदा समय में भी लगभग 123 मवेशी संरक्षित हैं। ग्राम प्रधान मनोजा कुमारी के पति मनोज कुमार बताते हैं कि यह इलाका खनन क्षेत्र का है।
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खनन अभी शुरू नहीं हुआ लेकिन चिंता तो है
सिलिका सैंड के लिए यहां खनन होता है। बगल की ग्राम पंचायत परवेजाबाद के मजरे असवा में इस साल खनन के लिए भूखंड आवंटित किया गया है। यह भूखंड गोशाला से ठीक बगल में है। अभी खनन शुरू नहीं हुआ है, लेकिन आगे चलकर यह समस्या खड़ी कर सकता है।
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क्या कहते हैं प्रधानपति
प्रधानपति का कहना है कि खनन के दौरान पहाड़ तोड़ने के लिए डीप बोरिंग करके ब्लास्ट किए जाते हैं। एक तो धमाके से पशुओं की सेहत पर असर पड़ेगा। दूसरे, ब्लास्ट के दौरान पत्थरों के टुकड़े 100 से लेकर 200 मीटर दूर तक गिरते हैं। ऐसे में गोशाला के पशुओं की जान भी संकट में पड़ सकती है। मामले की जानकारी स्थानीय प्रशासन को दी गई है।
ग्रामीणों बयां किया दर्द
गांव के ननकऊ भारतीया ने बताया कि खनन के दौरान डीप ब्लास्टिंग एक बड़ी समस्या है। धमाके के दौरान कई बार पत्थर के टुकड़े 200 से 250 मीटर तक पहुंच जाते हैं। ऐसे में गोशाला के मवेशियों पर संकट मंडराने लगा है। विनोद कुमार भारतीया ने कहा कि राजस्व के लिए खनन का पट्टा दिया गया है तो गोशाला में संरक्षित मवेशियों की चिंता भी अफसरों को करना चाहिए। अन्यथा आगे चलकर दिक्कत आएंगी।
क्या कहती हैं एसडीएम
बारा की एसडीएम प्रेरणा गौतम ने कहा कि खनन के लिए आवंटित खंड के बगल में गोशाला होने या ऐसी किसी समस्या की जानकारी नहीं है। मामले को दिखवाया जाएगा।
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