काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू)। जागरण
संग्राम सिंह, वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के विभिन्न संस्थानों और संकायों में अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा। केंद्रीय विश्लेषणात्मक और उपकरण अनुसंधान सुविधा (सीएआईआरएफ) के तहत 36 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है, इसके लिए करीब 40.16 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह फंडिंग विश्वविद्यालय को अत्याधुनिक विश्लेषणात्मक और अनुसंधान उपकरण प्रदान करेगी, जिनका उपयोग विज्ञान, कृषि, चिकित्सा और प्रौद्योगिकी के कई विभागों में शोधकर्ता कर सकेंगे। विश्वविद्यालय को अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।
सेंट्रल डिस्कवरी सेंटर में कई महंगे उपकरण खरीदे जाएंगे, इनमें इंडक्टिवली कपल्ड प्लाज्मा आप्टिकल एमिशन स्पेक्ट्रोस्कोपी, डायनेमिक मैकेनिकल एनालाइजर और एटामिक लेयर डिपोजिशन जैसे उपकरण बेहतरीन हैं। इनसे पीएचडी, एमटेक और एमएससी के छात्र नवीनतम तकनीक पर व्यावहारिक अनुभव प्रदान करेंगे, जिससे उन्हें उद्योग और शिक्षा जगत के लिए तैयार किया जा सकेगा।
ग्रीनहाउस गैस एनालाइजर और हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग जैसे उपकरण पर्यावरण और कृषि अनुसंधान को बढ़ावा देंगे। थ्रीडी बायोप्रिंटर और माइक्रोफ्लुइडिक ईवी अलगाव वर्कस्टेशन जैसे उपकरण बायोमेडिकल अनुसंधान में मदद करेंगे। चिकित्सा विज्ञान संस्थान, कृषि विज्ञान संस्थान और आइआइटी बीएचयू जैसे संस्थान कई प्रोजेक्टों में संयुक्त अध्ययन करेंगे।
यह प्रमुख उपकरणों से अनुसंधान में मदद
- 50 लाख रुपये से ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार। पुरातत्व, भूभौतिकी व भूविज्ञान में मदद।
- 30 लाख रुपये से ग्रीन हाउस गैस एनालाइजर। पर्यावरण विज्ञान, जलवायु परिवर्तन, वायुमंडलीय अध्ययन।
- एक करोड़ रुपये : इंडक्टिवली कपल्ड प्लाज्मा-आप्टिकल एमिशन स्पेक्ट्रोमेट्री। तत्व विश्लेषण, धातुओं, मिट्टी, जैविक नमूनों में ट्रेस तत्वों का पता लगेगा।
- 60 लाख रुपये से एलिमेंटल एनालाइजर। कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थों में तत्वों का सटीक मात्रात्मक विश्लेषण।
- 40 लाख रुपये से क्लाउड व एज कंप्यूटिंग के लिए समर्पित सर्वर। उन्नत कंप्यूटिंग, डेटा साइंस व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम होगा।
- 45 लाख रुपये से फास्ट प्रोटीन लिक्विड क्रोमैटोग्राफी। प्रोटीन, पेप्टाइड व न्यूक्लिक एसिड का शुद्धिकरण और विश्लेषण।
- 70 लाख से फोटोवोल्टिक स्पेक्ट्रोमीटर। सौर ऊर्जा, सामग्री विज्ञान, फोटोइलेक्ट्रिक डिवाइस अनुसंधान।
- ढाई करोड़ से इलेक्ट्रोकेमिकल वर्क स्टेशन। इलेक्ट्रोकेमिस्ट्री, ऊर्जा भंडारण और संक्षारण अध्ययन।
- 80 लाख से तरल नाइट्रोजन संयंत्र। केंद्रीय सुविधा के रूप में तरल नाइट्रोजन की आपूर्ति
- 1.10 करोड़ से डायनेमिकल मैकेनिकल एनालाइजर। सामग्री विज्ञान, पालिमर के यांत्रिक गुणों का अध्ययन होगा।
- 29 लाख से नैनोपार्टिकल ट्रैकिंग एनालाइजार-जेटाव्यू। नैनोसाइंस, दवा वितरण प्रणाली व जैविक कणों का विश्लेषण।
- 6.50 करोड़ से डिजिटल ड्रापलेट पीसीआर। आणविक जीव विज्ञान, आनुवंशिक विश्लेषण व कैंसर अनुसंधान में मदद।
- चार करोड़ से थ्रीडी बायोप्रिंटर। पुनर्योजी चिकित्सा, ऊतक इंजीनियरिंग और माडल अंगों का निर्माण होगा।
- 1.50 करोड़ से एटामिक लेयर डिपोजिशन सेट अप। पतली फिल्म जमाव, नैनो-इलेक्ट्रानिक्स व सामग्री विकास।
- 1.60 करोड़ से पेलोड्स मल्टीस्पेक्ट्रल, थर्मल और लिडार के साथ एकीकृत यूएवी ड्रोन सिस्टम। सुदूर संवेदन, भू-स्थानिक विश्लेषण, कृषि और पर्यावरण निगरानी।
डेरी विज्ञान में प्रोटीन शुद्धिकरण प्रणाली स्थापित की जाएगी
वनस्पति विज्ञान विभाग में फिजिकल प्रापर्टी मेजरमेंट सिस्टम, डेरी विज्ञान व खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग में प्रोटीन शुद्धिकरण प्रणाली स्थापित होगी। आइएमएस में हाई रेजोल्यूशन डिजिटल स्टीरियो माइक्रोस्कोप, क्रायो-माइक्रोटोम और जीएआइटी विश्लेषण प्रणाली जैसे उपकरण खरीदे जाएंगे। कृषि विज्ञान के लिए पी सात सौ, क्लोरोफिल फ्लोरेसेंस मापने की प्रणाली, हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग व फेनोटाइपिंग यूनिट और फ्लो साइटोमीटर खरीदने की मंजूरी मिली है।
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5.50 करोड़ के चार प्रोजेक्ट विचाराधीन श्रेणी में डाले गए
कृषि, पर्यावरण, जैव प्रौद्योगिकी, चिकित्सा विज्ञान और खगोल विज्ञान से जुड़े चार प्रस्तावों को विचाराधीन सूची में डाल दिया गया है, इस पर 5.50 करोड़ रुपये की राशि मांगी गई है। पर्यावरण और कृषि पर प्रभाव अध्ययन के लिए फेस-फेट रिंग्स नामक उपकरण की खरीद का प्रस्ताव भेजा गया है, इससे पौधों और मिट्टी के पारिस्थितिकी तंत्र पर उच्च कार्बन डाइआक्साइड और जलवायु वार्मिंग के प्रभावों का अध्ययन संभव होगा।
सेलुलर ऊर्जा मापन, उन्नत बायोमेडिकल इमेजिंग के लिए एप्लाइड स्पेक्ट्रल इमेजिंग व होल स्लाइड इमेजिंग के साथ मोटराइज्ड स्वचालित एलईडी फ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोप खरीदने का प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। खगोलीय वेधशाला का विकास का प्रस्ताव भी लंबित है। |
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