अगरतला में बांग्लादेश मिशन के बाहर आदिवासी युवाओं का विरोध 1971 की दिलाई याद (फोटो सोर्स- एएनआई)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में शुक्रवार को सैकड़ों आदिवासी युवाओं और छात्रों ने बांग्लादेश के डिप्टी हाई कमीशन के बाहर प्रदर्शन किया। यह विरोध बांग्लादेश के एक नेता के उस बयान के खिलाफ था, जिसमें भारत और पूर्वोत्तर राजयों को लेकर कथित तौर पर धमकी भरे शब्दों का इस्तेमाल किया गया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह प्रदर्शन यूथ TIPRA फेडरेशन (YTF) ने आयोजित किया, जो त्रिपुरा का एक बड़ा आदिवासी युवा संगठन है। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के नवगठित नेशनल सिटिजन्स पार्टी (NCP) के नेता हसनत अब्दुल्ला के बयान पर नाराजगी जताई।
अब्दुल्ला ने क्या कहा था?
अब्दुल्ला ने कथित तौर पर कहा था कि अगर भारत बांग्लादेश को अस्थिर करने की कोशिश करता है, तो ढाका भारत के पूर्वोत्तर के \“सेवनसिस्टर्स\“ राज्यों को अलग-थलग करने की कोशिश का समर्थन कर सकता है।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह बयान भारत की संप्रभुता और पूर्वोत्तर राज्यों की एकता पर सीधा हमला है। बता दें, हसनत अब्दुल्ला पहले \“स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन\“ आंदोलन के संयोजक रह चुके हैं, जिसने 2024 में बांग्लादेश में छात्र-जन आंदोलन का नेतृत्व किया था।
YTF की चेतावनी
प्रदर्शन के दौरान आदिवासी युवाओं और छात्रों ने बांग्लादेश के अंतरिम मुखिया मोहम्मद यूनुस के खिलाफ भी नारे लगाए। हालांकि, डिप्टी हाई कमीशन कार्यालय के बाहर मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोक दिया।
YTF के अध्यक्ष सूरज देबबर्मा ने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि बांग्लादेश की नई पीढ़ी शायद भूल गई है कि उसका गठन भारत के सहयोग और 1971 के मुक्ति संग्राम में भारतीय सेना के बलिदान से हुआ था।
उन्होंने कहा, “आज भारत को दुश्मन के रूप में दिखाया जा रहा है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।“ देबबर्मा ने बांग्लादेश के एक पूर्व सैन्य अधिकारी के उस कथित बयान का भी जिक्र किया, जिसमें सिलिगुड़ी कॉरिडोर के जरिए जुड़े पूर्वोत्तर भारत को अलग करने की बात कही गई थी।
YTF ने पहले भी किया प्रदर्शन
देबबर्मा ने कहा कि यह प्रदर्शन बांग्लादेश को याद दिलाने के लिए था कि पूर्वोत्तर भारत का समुद्र तक सीधा रास्ता नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे बयान और कदम टिप्रासा लोगों की प्रतिक्रिया को मजबूर कर सकते हैं।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि इसी साल YTF ने दक्षिण त्रिपुरा के बेलोनिया में भारत-बांग्लादेश सीमा पर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया था। यह विरोध बांग्लादेश द्वारा आंतरराष्ट्रीय सीमा के पास कथित अवैध तटबंध निर्माण को लेकर किया गया था।
केंद्र से की मांग
YTF अध्यक्ष ने केंद्र सरकार से भारत-बांग्लादेश की 4 हजार किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा की सख्त सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र ऐसा करने में नाकाम रहता है, तो आदिवासी लोगों को अपनी जमीन और हितों की रक्षा के लिए सशक्त किया जाना चाहिए।
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