ऑपरेशन सिंदूर के बाद इन जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने पहले से ही एक अलर्ट जारी कर रखा है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। किश्तवाड़ जिले में चिनाब दरिया पर निर्माणाधीन 850 मेगावाट की रतले जल विद्युत परियोजना में कथित तौर पर आतंकी संगठनों से जुड़े या पूर्व आतंकी या फिर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 29 लोग काम कर रहे हैं। यह किसी भी समय जलविद्युत परियोजनाक के लिए खतरा बन सकते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसलिए अगर इनकी गतिविधियों को लेकर जरा भी संदेह हो, तुरंत पुलिस को सूचित किया जाए। ऐसे कर्मियोें को काम पर रखने के फैसले पर पुनर्विचार की जरुरत है। यह कोई अफवाह नहीं है बल्कि जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआइएल ) को लिखा गया एक पत्र है।
यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि जम्मू कश्मीर में जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण पर पाकिस्तान हमेशा से ही आपत्ति जताता आया है। जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकी भी इन जलविद्युत परियोजनाओं को नुक्सान पहुंचाने का षड्यंत्र रचते रहे हैं। आपरेशन सिंदूर के बाद इन जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने पहले से ही एक अलर्ट जारी कर रखा है।
पुलिस द्वारा लिखे गए पत्र से जहां रतले जलविद्युत परियोजना की सुरक्षा पर मंडराते खतरे की पुष्टि होती है, वहीं इससे रतले जलविद्युत परियोजना के कामकाज में भाजपा विधायक द्वारा रुकावट डालने और एक समुदाय विशेष के लोगों को काम से निकालने के कथित दबाव से उपजे विवाद को एक नया मोढ़ भी मिल गया है।
मैंने भी यही कहा था कि कुछ लोग सही नहीं हैं
भाजपा नेत्री और किश्तवाड़ की विधायक शगुन परिहार ने कहा कि मैंने जो सवाल उठाए थे, पुलिस ने उन्हें सही ठहराया है। मैंने तो यही कहा था कि परियोजना में काम कर रहे कुछ लोग सही नहीं हैं, उन्हें वहां नहीं होना चाहिए, लेकिन मुझेपर परियोजना के काम में रुकावट डालने, माहौल खराब करने काआरोप लगाया गया। अब बताएं।
बताया जा रहा है किश्तवाड़ के एसएसपी नरेश सिंह ने गत नवंबर में ही एमईआइएल के महाप्रबंधक को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कथित तौर पर लिखा है कि परियोजना में काम कर रहे किश्तवाड़ के लोगों के नियमित पुलिस जांच के दौरान, संबंधित थाना प्रभारियों ने पाया कि 29 ऐसे लोग जो आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं, आतंकियों के साथी रहे हैं, जिन पर देशद्रोही/देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है, परियोजना में काम कर रहे हैं।
29 लोगों पर आतंकी संपर्क होने का है संदेह
पत्र में इन 29 लोगों के नाम-पते का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इनके आतंकी संपर्क और आपराधिक पृष्ठभूमि को देखते हुए इन्हें काम पर रखने से परियोजना की सुरक्षा खतरे में आती है। जिला एसएसपी ने अपने पत्र में जलविद्युत परियोजना के रणनीति और राष्ट्रीय महत्व का उल्लेख करते हुए बताया यह दुश्मन के निशाने पर है। इसलिए ऐसे कर्मचारियों व श्रमिकों को काम पर रखने के फैसले पर पुनर्विचार की जरुरी है… क्योंकि (वे) कुछ भी कर सकते हैं और प्रोजेक्ट के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।
संबधित सूत्रों ने बताया कि जिन 29 लोगों को चिह्नित किा गया है, उनमें से पांच कथित तौर पर आतंकी संपर्क और ओवरग्राउंड वर्कर के नाम पर सूचीबद्ध हैं। इनमें से तीन एक पुराने आतंकी के रिश्तेदार है और एक ओवरग्राउंड वर्कर का बेटा और एक सरेंडर कर चुके आतंकी का बेटा है।
एक अन्य पर पानी के एक स्रौत को जानबूझकर दषित करने, नकली दस्तावेज तैयार करने का आरोप है। 23 अन्य की आपराधिक पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने आम लाेगों व सार्वजनिक सुरक्षा को नुक्सान पहुंचाते हुए, कई निजी लाेगों के लिए भी खतरा पैदा किया है, कई बार कानून व्यवस्था का संकट पैदा किय है।
किसी को हटना अभी संभव नहीं
एमईआइएल के चीफ आप्रेटिंग आफिसर हरपाल सिंह ने पुलिस के पत्र की पुष्टि करते हुए कहा कि हमने जिला एसएसपी को सूचित कया है कि काेई भी संदिग्ध गतिविधि नजर आने पर रिपोर्ट किया जाएगा। रही बात किसी को हटाने की, वह अभी संभव नजर नहीं आता।
हम किस कानून के तहत उन्हें हटाएं अगर किसी का कोई रिश्तेदार आतंकी है या किसी का कोई रिश्तेदार आतंकी था और आत्मसमर्पण का मुख्यधारा में शामिल हआ है तो इसमें उसका क्या कसूर? जिस व्यक्ति के खिलाफ अदालत में कोई अपराध साबित नहीं हुआ हो, उसके खिलाफ कैसे कार्रवाई करें। अगर छंटनी करेंगे तो वह अदालत मे जाएंगे और यहां एक नयी समस्या पैदा होगी। वैसे भी जिन लोगों की बात हो रही है, उन्हें मेरे यहां काम सम्हालने से पहले भर्तीै किया गया था।
1434 स्थानीय कर्मियों व श्रमिकों में 960 सिर्फ किश्तवाड़ से
उन्होंने भाजपा विधायक के साथ हुए विवाद की पुष्टि करते बताया कि जब वह चुनाव जीती हैं, कंपनी पर लगातार अपने लोगों को काम पर रखने के लिए दबाव डाल रही हैं। गत सितंबर में कंपनी ने 200 कर्मियों व श्रमिकों को हटाने का फैसला किया था,जिससे यहां तनाव पैदा हो गया। मौजूदा समय में यहां 1434 स्थानीय कर्मियों व श्रमिकों में 960 सिर्फ जिला किश्तवाड़ के हैं और जिला डोडा के 220 लाेग हैं।
हालत यह है कि इनमें से अाधे तो उस काम के बारे में नहीं जानते जिसके लिए उन्हें यहां रखा गया है या फिर वह काम नही करना चाहते। डोडा-किश्तवाड़ से यहां परियोजना में रखे गए अधिकांश स्थानीय लोगों को भाजपा नेताओं के दबाव मं रखा गया है,क्योंकि इलाके में उनका दबदबा है।
विधायक शगुन परिहार ने कहा कि एमईआईएल के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए अपनी नालायकी छिपाने का प्रयास करिते हैं। एमईआईएल ने कुछ मय पहले ही 200 श्रमिकों की सेवाएं समाप्त की हैं और उनमें वह 20 लोग क्यों नहीं जिनके बारे में पुलिस ने अलर्ट भेजा है। |