दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे शुरू होते ही 25 प्रतिशत बढ़ेगा वाहनों का दबाव। जागरण
सुमन सेमवाल, देहरादून। दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे के जल्द उद्घाटन की तैयारी के बीच राजधानी दून के लिए यातायात संकट और गहराने के संकेत मिल रहे हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा 10 से 15 दिन में एक्सप्रेसवे शुरू करने के संकेत और प्रधानमंत्री से उद्घाटन के लिए समय मांगे जाने के बाद यह साफ हो गया है कि एक्सप्रेसवे पर वाहन जल्द फर्राटा भरने लगेंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बेशक जिस मेगा परियोजना का वर्ष 2021-22 से बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था, वह जनता को समर्पित होने जा रही है। लेकिन, साथ ही देहरादून के छोर पर चिंता के बादल भी गहराने लगे हैं। क्योंकि, एक्सप्रेसवे के शुरू होते होते ही दून और मसूरी की तरफ वाहनों का दबाव 25 प्रतिशत के करीब बढ़ जाएगा। ऐसे में जो सड़कें और जंक्शन पहले से जाम से हांफ रहे हैं, उनमें हालात और विकट हो जाएंगे। कहीं ऐसा न हो कि दिल्ली से दून ढाई घंटे में पहुंच जाएं और फिर मसूरी तक पहुंचने में हालत खराब हो जाए।
समय रहते नहीं बनी रिंग रोड, अब भुगतना तय
यातायात विशेषज्ञों के अनुसार यदि एक्सप्रेसवे निर्माण के साथ ही देहरादून की आउटर रिंग रोड पर काम शुरू हो गया होता, तो आज हालात इतने गंभीर नहीं होते। क्योंकि, जब हरिद्वार-देहरादून हाईवे को मोहकमपुर तक फोरलेन किया गया और जब पांवटा साहिब राजमार्ग के चौड़ीकरण की शुरुआत हुई, यदि उस समय तैयारी होती, तो बाहरी वाहन शहर में प्रवेश किए बिना सीधे अपने गंतव्य की ओर निकल सकते थे। लेकिन अब शहर की सड़कों पर स्थानीय और बाहरी वाहनों का बोझ एक साथ पड़ने वाला है।
कागजों में ही उलझी ‘गेम चेंजर’ परियोजनाएं
दून को जाम से राहत दिलाने के लिए जिन परियोजनाओं को गेम चेंजर बताया जा रहा है, वह फिलहाल फाइलों से बाहर नहीं निकल सकी हैं।
मोहकमपुर आरओबी-आशारोड़ी एलिवेटेड रोड (12 किमी)
- एलाइनमेंट स्वीकृत
- टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं
- लागत करीब 1500 करोड़ रुपये
- इसे आउटर रिंग रोड का पहला चरण माना गया है
- अभी निर्माण शुरू भी हुआ तो पूरा होने में कम से कम ढाई साल
रिस्पना-बिंदाल एलिवेटेड रोड (26 किमी)
- लागत 6200 करोड़ रुपये से अधिक
- मसूरी जाने वाले वाहनों को शहर से बाहर निकालने की योजना
- जमीन अधिग्रहण तक पूरा नहीं
- निर्माण शुरू होने में ही लंबा समय
आशारोड़ी-झाझरा परियोजना के अड़ंगे दूर किए जाएं
कम से कम यह परियोजना समय रहते धरातल पर उतर जाती तो दिल्ली या पांवटा साहिब की तरफ से आपस में आवागमन करने वाले वाहनों को शहर में प्रवेश नहीं करना पड़ता। लेकिन, यह परियोजना भी अभी वन भूमि और मुआवजा विवाद में उलझी पड़ी है।
लंबीधार किमाड़ी रोड पर विलंब से खुली नींद
मसूरी और देहरादून के बीच आवागमन के लिए लंबीधार किमाड़ी रोड भी एक विकल्प है। लेकिन, इसकी हालत खराब रहती है और यह सड़क संकरी भी है। हालांकि, अब जाकर इस सड़क को 14 करोड़ रुपए की लागत से सिंगल लेन से डेढ़ लेन करने की कवायद शुरू की गई है।
मसूरी के लिए तीसरे वैकल्पिक मार्ग पर चुप्पी
गेम चेंजर योजनाओं में झाझरा की तरफ से मसूरी के लिए एक वैकल्पिक मार्ग भी प्रस्तावित है। अफसोस कि यह पूरी परियोजना अभी सिर्फ फाइलों में सरक रही है।
51 किमी आउटर रिंग रोड अभी भी सपना
देहरादून में 51 किलोमीटर लंबी आउटर रिंग रोड की योजना वर्ष 2010 से चर्चा में है। कई सर्वे और विभागीय बैठकों के बाद अब यह तय हुआ है कि परियोजना एनएचएआई के माध्यम से बनेगी। लेकिन हकीकत यह है कि पहला चरण भी अभी शुरू नहीं हो सका।
चौराहों पर क्षमता से 06 गुना दबाव
शहर के प्रमुख जंक्शन अपनी डिजाइन क्षमता को कब का पार कर चुके हैं। ऐसे में इन सड़कों और जंक्शन पर दिल्ली की तरफ से वाहनों का अतिरिक्त दबाव आएगा तो यह पूरी तरह जवाब दे जाएंगे।
चौराहा, डिजाइन क्षमता (पीसीयू), वास्तविक दबाव (पीसीयू)
- घंटाघर - 3600, 14282
- प्रिंस चौक - 2900, 17090
- लालपुल -2900, 16664
- रिस्पना पुल -2900, 16453
- बल्लूपुर चौक -2900, 6211
- आईएसबीटी -3600, 9916
निजी वाहनों पर निर्भरता बना सबसे बड़ा संकट
मास्टर प्लान 2041 के सर्वे के मुताबिक दून में 2 लाख से अधिक परिवार और आबादी 13 लाख से ज्यादा है। 85 प्रतिशत परिवार अभी भी निजी वाहनों पर निर्भर हैं और अधिकतर लोग रोजमर्रा के कामकाज के लिए यात्रा करते हैं। जब तक सार्वजनिक परिवहन को आकर्षक और भरोसेमंद विकल्प नहीं बनाया जाता, तब तक भी जाम से राहत संभव नहीं दिखती। लिहाजा, यातायात सुधार के लिए सड़क परियोजनाओं के साथ सार्वजनिक परिवहन के मोर्चे पर भी काम करना होगा।
199 किमी सड़कें 12 मीटर से भी कम चौड़ी
दून का सड़क ढांचा यातायात दबाव के सामने बेहद कमजोर है। शहर की सड़कों का अधिकांश भाग वाहनों के दबाव के लिहाज से पर्याप्त रूप से चौड़ा नहीं है।
- सड़क लंबाई, चौड़ाई प्रतिशत
- 199.49 किमी, 12 मीटर से कम, 43.09 प्रतिशत
- 214.51 किमी, 12–30 मीटर, 46.34 प्रतिशत
- 36.51 किमी, 30–50 मीटर, 7.85 प्रतिशत
- 12.62 किमी, 50–80 मीटर, 2.73 प्रतिशत
नगर निगम की सड़कों की हालत सबसे खराब
- 363 किमी सड़कें नगर निगम के अधीन
- फुटपाथ और पार्किंग की भारी कमी
- 130 किमी सड़कें लोनिवि के अधीन, चौड़ाई अपर्याप्त
- रोड साइड लैंड कंट्रोल एक्ट के पालन में ढिलाई
- अतिक्रमण से सड़कें और संकरी हुईं
सरकारी मशीनरी को बिना समय गंवाए सड़क और यातायात सुधार की दिशा में सभी प्रस्तावित परियोजनाओं पर गंभीर प्रयास शुरू कर देने चाहिए। विशेषकर काम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान के सभी पहलुओं पर अमल आवश्यक है। - अनूप नौटियाल, संस्थापक अध्यक्ष एसडीसी फाउंडेशन
किसी मध्यम श्रेणी की कालोनी में भी कम से कम 18 मीटर चौड़ी सड़क जरूरी होती है, जबकि दून की 65 प्रतिशत सड़कों की चौड़ाई इससे कम है। यह स्थिति बताती है कि हमें सड़क सुधार की दिशा में गंभीर प्रयास करने की जरूरत है। -
डीएस राणा, अध्यक्ष, उत्तराखंड इंजीनियर्स एंड आर्किटेक्ट एसोसिएशन
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