श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु को क्यों नहीं बचाया? (AI-generated image)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कुरुक्षेत्र के युद्ध का 13वां दिन इतिहास में अभिमन्यु की वीरता और नियति के क्रूर खेल के लिए दर्ज है। द्रोणाचार्य द्वारा रचित \“चक्रव्यूह\“ में जब 16 साल का बालक अकेले सात महारथियों से लड़ रहा था, तब द्वारकाधीश श्री कृष्ण सब जानते हुए भी शांत थे। अर्जुन के विलाप और संसार के सवालों के बीच इसके पीछे कई गहरे आध्यात्मिक और पौराणिक कारण छिपे थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
1. अभिमन्यु का पूर्वजन्म और चंद्रमा का वचन
पौराणिक कथाओं (मार्कण्डेय पुराण के अनुसार) के अनुसार, अभिमन्यु वास्तव में चंद्रदेव के पुत्र \“वर्चस\“ के अवतार थे। जब देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे अधर्म का नाश करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लें, तो सभी देवताओं को अपने अंश भेजने को कहा गया।
चंद्रदेव अपने पुत्र से बहुत स्नेह करते थे, इसलिए उन्होंने एक शर्त रखी: “मेरा पुत्र पृथ्वी पर केवल 16 वर्षों के लिए रहेगा और कुरुक्षेत्र में अपना पराक्रम दिखाकर वापस मेरे पास लौट आएगा।“ श्री कृष्ण जानते थे कि अभिमन्यु का इस लोक का समय पूरा हो चुका है, और वे नियति के उस चक्र को नहीं तोड़ना चाहते थे जो स्वयं देवताओं द्वारा निर्धारित था।
2. अर्जुन के मोह का अंत
महाभारत (द्रोण पर्व),जहां अभिमन्यु वध और उसके बाद कृष्ण-अर्जुन संवाद का वर्णन है। श्री कृष्ण का मुख्य उद्देश्य धर्म की स्थापना और अर्जुन को पूर्णत:\“निर्मोही\“ बनाना था। गीता का ज्ञान देने के बावजूद, अर्जुन कहीं न कहीं अपनों के मोह में बंधे थे। अभिमन्यु के मृत्यु ने पांडवों के भीतर उस प्रतिशोध की ज्वाला को भड़काया जिसने अंतत: भीष्म, द्रोण और कर्ण जैसे अजेय योद्धाओं के पतन का मार्ग प्रशस्त किया।
3. चक्रव्यूह का ज्ञान और अधूरा रहस्य
एक मानवीय दृष्टिकोण यह भी है कि अभिमन्यु को चक्रव्यूह में प्रवेश करना तो पता था, लेकिन बाहर निकलना नहीं। श्री कृष्ण चाहते तो अर्जुन को वहां भेज सकते थे, लेकिन वे अर्जुन को संशप्तकों से युद्ध करने दूर ले गए। यह \“विधि का विधान\“ था ताकि आने वाली पीढ़ियां समझ सकें कि युद्ध कभी किसी का सगा नहीं होता और अधर्म का अंत करने के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ती है।
4. कलयुग के लिए सीख
कृष्ण ने अभिमन्यु को नहीं बचाया क्योंकि वे उसे एक \“शहीद\“ के रूप में अमर करना चाहते थे। यदि अभिमन्यु बच जाते, तो शायद उनकी वीरता की वह मिसाल कभी न बनती जो आज युगों बाद भी युवाओं को प्रेरित करती है। कृष्ण ने सिखाया कि शरीर नश्वर है, लेकिन धर्म के लिए दिया गया बलिदान अमर है।
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